संस्कृति के अधिकार के लिए जीवन के साथ कर दिया देहदान

संस्कृति के परिवर्तन को लेकर लोगों की आत्म चेतना को जाग्रत करने के लिए राष्ट्र और समाज हित में संस्कृति की अधिकार के लिए अपना शरीर भी दान कर दिया है। लोगों को संस्कृति का अधिकार दिलाने और राष्ट्र हित के लिए दशकों से जुटे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 11:40 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 06:07 AM (IST)
संस्कृति के अधिकार के लिए जीवन के साथ कर दिया देहदान
संस्कृति के अधिकार के लिए जीवन के साथ कर दिया देहदान

बुलंदशहर, जेएनएन। संस्कृति के परिवर्तन को लेकर लोगों की आत्म चेतना को जाग्रत करने के लिए राष्ट्र और समाज हित में संस्कृति की अधिकार के लिए अपना शरीर भी दान कर दिया है। लोगों को संस्कृति का अधिकार दिलाने और राष्ट्र हित के लिए दशकों से जुटे हैं। निस्वार्थ भाव से लोगों को संस्कृति का अधिकार दिलाने वाली इस इस शख्सियत का नाम है, आचार्य मनजीत धर्मध्वज। अनूपशहर तहसील के गांव बिचौला के रहने वाले आचार्य मनजीत धर्मध्वज वैसे तो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उनकी मकबूलियत सभी धर्मो के लोग कायल है। आचार्य मनजीत धर्मध्वज हिदी, अंग्रेजी और इतिहास से एमए के साथ बीएड की है। संस्कृति के अधिकारों की रक्षा के लिए उन्होंने भारतीय विद्या भवन से ज्योतिष अलंकार व आचार्य की डिग्री करने के बाद वह संस्कृति के अधिकार के लिए लोगों में चेतना जाग्रत करने का काम शुरू कर दिया। अगर किसी अल्पसंख्यक को उसके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है तो वे वहां अपनी संगत लेकर पहुंच जाते हैं और अड़ जाते हैं। जब तक अधिकार न दिला दें तब तक वे पीछे नहीं हटते। उनका मानना है कि जब हम अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जायेंगे तो कर्तव्य के निर्वहन पर स्वयं ध्यान देने लगेंगे।

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70 फूट ऊंचे भव्य सिद्ध महापीठ का कराया निर्माण

आचार्य मनजीत धर्मध्वज ने नौ वर्ष भारतवर्ष के तमाम तीर्थ स्थलों की यात्रा कर वहां की पवित्र मिट्टी और जल एकत्र करने के साथ 12 ज्योर्तिलिग से शिवलिग स्पर्श करा कर गंगेरूआ में 70 फूट की ऊंचाई का श्री द्वादश महालिगेश्वर सिद्ध महापीठ की स्थापना कराई है।

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इकलौते पुत्र होते हुए राष्ट्र उत्थान और संस्कृति के लिए दान कर दिया शरीर

आचार्य मनजीत धर्मध्वज ने बताया कि संस्कृति के अधिकार और राष्ट्र उत्थान के लिए दधिचि देहदान समिति को वह चार साल पहले अपना शरीर दान कर चुके हैं।

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