सख्ती के बाद भी खेतों में जल रहे फसलों के अवशेष
शासन और प्रशासन की सख्ती के बावजूद भी कुछ किसान फसलों के अवशेष जलाने से बाज नहीं आ रहे है। ऐसा ही एक मामला शनिवार की देर शाम को औरंगाबाद-जहांगीराबाद मार्ग स्थित राजकीय डिग्री कालेज के निकट एक खेत में गन्ने की पत्ती जलती मिली।
जेएनएन, बुलंदशहर। शासन और प्रशासन की सख्ती के बावजूद भी कुछ किसान फसलों के अवशेष जलाने से बाज नहीं आ रहे है। ऐसा ही एक मामला शनिवार की देर शाम को औरंगाबाद-जहांगीराबाद मार्ग स्थित राजकीय डिग्री कालेज के निकट एक खेत में गन्ने की पत्ती जलती मिली। बताया गया है कि खेत मालिक ने कार्रवाई होने के डर से रविवार की तड़के ही ट्रैक्टर से जुताई कर डाली। उधर दूसरी ओर अगौता क्षेत्र में भी गन्ना क्रेशर भी जहरीला धुंआ निकालने से बाज नहीं आ रहे हैं। उक्त मामले में जहांगीराबाद बीडीओ से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया तो उन्होंने फोन ही रिसीव नहीं किया।
पराली जलाने से रोकने को बच्चों को किया जागरूक
जेएनएन, बुलंदशहर। कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से पहासू ब्लाक में बच्चों को अपने माता-पिता और किसानों को पराली, फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए जागरूक किया गया।
परियोजना समन्वयक डा. मनोज कुमार ने बच्चों से कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन के तहत धान की पुआल व गन्ने की पत्ती को जलाना नहीं चाहिए। इससे वातावरण प्रदूषित हो जाता है। धान की पुआल खेत में ही मिलाने से भूमि उर्वरता में सुधार होता है और मित्रकीट भी सुरक्षित रहते हैं। डा. विवेक राज और डा. रामानंद पटेल ने कहा कि पुआल को खेत की मिट्टी में मिलाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के पास मल्चर, जीरो सीड ड्रिल, हैप्पी सीडर और एमबी प्लाऊ उपलब्ध हैं। इसका प्रयोग कर इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। अपने मोबाइल में मेघदूत एप को इंस्टाल करें। इससे जानकारी मिलती रहती है।