हाथ में खडग-खपर और गले में नरमुंड की माला पहनकर सड़कों पर खेली काली

सिर पर मुकुट हाथ में खडग-खपर और गले में नरमुंड की माला अपने रौद्र रूप में मां काली शहर की सड़कों पर खेल रहीं थी। पीछे चल रहा कोई लांगुर उनको पंखा झल रहा था तो कोई रास्ता साफ कर रहा था। श्रद्धालु भी आरती उतराने के लिए भी इंतजार में पलके बिछाए हुए थे।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 11:21 PM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 11:21 PM (IST)
हाथ में खडग-खपर और गले में नरमुंड की माला पहनकर सड़कों पर खेली काली
हाथ में खडग-खपर और गले में नरमुंड की माला पहनकर सड़कों पर खेली काली

जेएनएन, बुलंदशहर। सिर पर मुकुट, हाथ में खडग-खपर और गले में नरमुंड की माला, अपने रौद्र रूप में मां काली शहर की सड़कों पर खेल रहीं थी। पीछे चल रहा कोई लांगुर उनको पंखा झल रहा था तो कोई रास्ता साफ कर रहा था। श्रद्धालु भी आरती उतराने के लिए भी इंतजार में पलके बिछाए हुए थे। आशीर्वाद लेकर प्रसाद पाने के लिए भी भक्तों में होड मची थी। अष्टमी से शहर के मंदिरों से निकाली गई मां की शोभायात्राओं के मां काली के अखाड़ों का यह नजारा वातावरण में भक्ति रस घोल रहा था। जिसमें आस्था और श्रद्धा का सैलाब उमड़ रहा था। अष्टमी से शोभायात्राओं के साथ निकले मां काली के अखाडे़ अब एकादशी को विश्राम करेंगे। दरअसल, नवरात्र में अष्टमी को साठा स्थित अष्ट दुर्गे भवानी शक्ति पीठ मन्दिर से, नवमी को देवीपुरा प्रथम स्थित सिद्धपीठ श्री महाकाली मंदिर से और विजयादसवी को गांधी चौक स्थित चंडी मंदिर से श्री महाचंडी की शोभायात्रा निकाली जाती हैं। जिसमें बैंड बाजों की धुन पर विभिन्न देवी-देवताओं की झांकियां शामिल रहती हैं। मां काली का अखाड़ा इसमें आकर्षण का केंद्र रहता है। इसमें दिन-रात रौद्र रूप में खेलते मां कालू के स्वरूप श्रद्धालुओं को ललायित करते हैं। अष्टमी से अलग-अलग मंदिरों से शोभायात्राओं के साथ शुरू हुए मां काली के अखाड़े एकदाशी तक संपन्न होते हैं। जबकि इनकी शोभायात्राएं उसी दिन देर रात विश्राम कर जाती हैं। रात भर सड़कों पर खेली अष्ट भवानी

अष्टमी को साठा स्थित अष्ट दुर्गे भवानी शक्ति पीठ मन्दिर से दोपहर बाद अष्ट भवानी की 50वीं शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें बैंड बाजे समेत कई सुंदर झांकियां भी शामिल रहीं। शोभायात्रा के साथ अखाडे़ में मां काली के पांच स्वरूप शामिल रहे। नगर के विभिन्न मार्गों से होते हुए गली-मोहल्लों में मां काली के रौद्र रूप खेलते हुए निकले। इसमें मां का काली का बाल स्वरूप आकर्षण का केंद्र रहा। रात भर यह मां काली के स्वरूप सड़कों पर खेलते हुए श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्रदान करते रहे। मार्ग में जगह-जगह घरों एवं प्रतिष्ठानों में अखाडे़ ने पडा़व लिया। मां काली के स्वरूपों ने इन पड़ावों में में अल्प विश्राम किया। जहां श्रद्धालुओं ने मां काली के स्वरूपों को भोग लगाकर आरती उतारी की। नवमीं तक यह सिलसिता चलता रहा है। शाम को अष्ट दुर्गे भवानी शक्ति पीठ मन्दिर पर मां काली का अखाड़ा पहुंचा। जहां मां काली के स्वरूपों की विधिवत महाआरती की। मां काली ने श्रद्धालुओं को प्रसाद खिलाकर आशीर्वाद भी दिया। सोने की तलवार और मुकुट पहनकर निकली मां काली

जागरण संवाददाता, बुलंदशहर : देवीपुरा प्रथम स्थित सिद्धपीठ श्री महाकाली मंदिर से 124वीं मां काली की शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में अलग-अलग झांकियां भी निकाली गईं। शोभायात्रा के साथ निकाले गए अखाडे़ में मां के छह स्वरूप शामिल रहे। जिसमें मां के मुख्य स्वरूप ने सोना का मुकुट और सोने की हाथ में तलवार लेकर नगर में भ्रमण किया। शहर के डिप्टी गंज, बूरा बाजारा, चौक बाजार, अंसारी रोड, अंबर सिनेमा रोड होते हुए वापस मंदिर पर आकर शोभायात्रा का विश्राम किया गया। मार्ग में विभिन्न स्थानों पर मां काली के स्वरूपों की आरती कर आशीर्वाद प्राप्त किया। मां काली के स्वरूपों ने भी श्रद्धालुओं को खपर से प्रसाद प्रदान किया। मंदिर के पुजारी शिव शंकर शर्मा ने बताया कि अगले दिन दशहरा पर नुमाइश मैदान में फिर रामलीला में मां काली के स्वरूप का रौद्र रूप पहुंचकर खेलेगा।

chat bot
आपका साथी