बैंकों के निजीकरण का जताया विरोध

पंजाब नेशनल बैंक एंप्लाइज यूनियन की राज्य स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया। इसमें वक्ताओं ने बैंकों के निजीकरण पर विरोध जताया। बैंककर्मियों की समस्या पर मंथन कर विचार व्यक्त किए।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 12:09 AM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 12:09 AM (IST)
बैंकों के निजीकरण का जताया विरोध
बैंकों के निजीकरण का जताया विरोध

जेएनएन, बुलंदशहर। पंजाब नेशनल बैंक एंप्लाइज यूनियन की राज्य स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया। इसमें वक्ताओं ने बैंकों के निजीकरण पर विरोध जताया। बैंककर्मियों की समस्या पर मंथन कर विचार व्यक्त किए।

बैठक में एनसीबीई अध्यक्ष वाईके शर्मा ने कहा कि बैंकों का निजीकरण किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा। सरकार यदि बैंक निजीकरण के प्रस्ताव को संसद में लाती है तो सभी बैंक संगठन अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को तैयार हैं। यूएफबीयू के जिला संयोजक विक्रम सिंह राघव ने कहा कि सभी युवा साथी संगठन संघर्ष के लिए तैयार रहें। बैठक में राज्य स्तरीय टीम का चुनाव भी किया गया। जिसमें सर्वसम्मति से डीपी वर्मा को अध्यक्ष, मनोज चौधरी को उपाध्यक्ष, एसपी सिघल को महामंत्री, बुलंदशहर के तरुण वीर तोमर को उप महामंत्री चुना गया। कार्यक्रम में दृष्टि दिव्यांग कर्मचारियों सहित, दिलीप कुमार गोयल, आरके शर्मा , एसएन सिंह, अनिल कुमार विद्यार्थी, एसपी सिंह तोमर, बृजेश शर्मा, जगवीर चौधरी, भूपेश वशिष्ठ आदि मौजूद रहे।

..सस्ते या अकरे हैं हम, सियासत के बकरे हैं हम

ईद उल अजहा के मौके पर शांति नगर स्थित नेशनल पब्लिक स्कूल में गंगा जमुनी कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया गया। अध्यक्षता पूर्व विधायक बुधपाल सिंह ने की और संचालन सैयद्दी अली अब्बास नोगांवी ने किया। मुख्य अतिथि आफाक हाशमी व सुमन बहार खुर्जा रहे।

विरेंद्र चौहान ने कलाम पेश करते हुए कहा कि सस्ते या अकरे हैं हम, सियासत के बकरे हैं हम। ऐन मीम कोसर ने कहा कि वही लोग दुनिया में पिछड़े हुए हैं, नहीं सुन सके जो किताबों की आहट को। सैयद निजामी शैदा ने फरमाया कि मुझको मेरी वफा़ओं का यह क्या सिला दिया, सारे ़खतों को पढ़ने से पहले जला दिया। डा. रहबर बरनी ने कहा कि रंग का मेल आग से कैसा हम नहीं हैं तेरे बराबर के, जबकि यूसुफ सहराई ने फरमाया कि मोहब्बत, इश्क़, हमदर्दी मुरव्वत, यह जज़्बे एक्सपायर हो चुके हैं। वहीं, सैयद अली अब्बास नोगांवी ने कहा कि चार पांच बच्चों से एक मां नहीं पलती उनको पालने में जो कितने ग़म उठाती है। श्रोताओं और कवियों ने एक-दूसरे को ईद उल अजहा की मुबारकबाद देकर मुशायरे का समापन किया।

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