कठिन परिश्रम कर डा.पूनम ने शिक्षा क्षेत्र में पाया मुकाम

जेएनएन बुलंदशहर परिस्थितियां चाहे जीवन में कैसी भी आए लेकिन अपने लक्ष्य का प्राप्त करने जो कठिन परिश्रम करता है उसे सफलता हमेशा ही प्राप्त होती है। शिक्षा क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए डा.पूनम ने कठिन परिश्रम किया और मुकाम हासिल कर शिक्षा का उजियारा क्षेत्र नहीं बल्कि जनपद भर में फैल रही हैं। जो एक मिल का पत्थर साबित हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 07 Oct 2021 10:38 PM (IST) Updated:Thu, 07 Oct 2021 10:38 PM (IST)

 कठिन परिश्रम कर डा.पूनम ने शिक्षा क्षेत्र में पाया मुकाम
कठिन परिश्रम कर डा.पूनम ने शिक्षा क्षेत्र में पाया मुकाम

जेएनएन, बुलंदशहर: परिस्थितियां चाहे जीवन में कैसी भी आए, लेकिन अपने लक्ष्य का प्राप्त करने जो कठिन परिश्रम करता है, उसे सफलता हमेशा ही प्राप्त होती है। शिक्षा क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए डा.पूनम ने कठिन परिश्रम किया और मुकाम हासिल कर शिक्षा का उजियारा क्षेत्र नहीं बल्कि जनपद भर में फैल रही हैं। जो एक मिल का पत्थर साबित हो रहा है।

नगर के मोहल्ला खत्रीबाड़ा निवासी नर्सरी की शिक्षिका से कैरियर शुरू करने वाली डा. पूनम शर्मा आज एक नहीं बल्कि दो सीबीएसई स्कूल की संचालिका है। एसडीएम कालोनी स्थित डिवाइन एजूकेशनल स्कूल जनपद एक ऐसे स्कूलों में शुमार है, जहां से कक्षा दस व बारहवीं के छात्र-छात्राएं जनपद में हर वर्ष अपना झंडे बुलंद रखते हैं। जिले में स्थान प्राप्त करते है। पासआउट हो चुके स्कूल के छात्र प्रशासनिक समेत देश सेवा में अपना नाम रोशन कर रहे हैं।

ऐसा किया कठिन परिश्रम

डा पूनम शर्मा ने बताती हैं कि शुरू से ही उनका सपना पीएचडी धारक शिक्षक बनकर शिक्षा क्षेत्र में अपना अलग से मुकाम हासिल करने का था। लेकिन पिता ने बारहवीं पास करते ही उनकी शादी कर दी। लेकिन ससुराल आने के बाद भी उन्होंने अपना लक्ष्य नहीं छोड़ा। शादी के बाद भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। बीए की नगर में पढ़ाई करते हुए इंदिरा बाल निकेतन स्कूल में दो सौ रुपये प्रतिमाह मानदेय पर नर्सरी शिक्षिका के रूप नौकरी शुरू कर दी। पति सुरेन्द्र दत्त शर्मा ने उनके सपने का पूरा करने में पूरा सहयोग किया। निजी स्कूलों में नौकरी करते हुए उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में खुद की नई पहचान बनाई। न्यू लैंसर स्कूल में नर्सरी की शिक्षिका बनने के बाद वहीं उप प्रधानाचार्य बनी। इसी बीच एमबीए पढ़ाई पूरी की। उनका बड़ा पुत्र जब मात्र सात दिन का था, तब उनकी गाजियाबाद में बीएड की परीक्षा शुरू हो गई। लेकिन उन्होंने बीएड की परीक्षा नहीं छोड़ी। अपने पुत्र को बस से साथ जाती। गाजियाबाद अपनी माता के पास बच्चे को तीन घंटे परीक्षा के दौरान छोड़ने के दौरान वापस ससुराल आती। बीएड करने के बाद भी पढ़ाई के साथ शिक्षण कार्य जारी रखा। डा.पूनम के पति सुरेन्द्र दत्त शर्मा औद्योगिक क्षेत्र स्थित कंपनी में मात्र एकाउंटेंट थे। उनके मानदेय से घर का खर्चा होता था, जबकि पढ़ाई का जिम्मा वह निजी स्कूल में नर्सरी की मिलने वाले मानदेय से उठाती थी।

ऐसे हासिल किया अपना मुकाम

अपने सपने का पूरा करने की ओर कदम बढ़ाते डा.पूनम शर्मा हुए वर्ष 2001 में कई बार उतार चढ़ाव देखे। पहले किराये की तीन कमरों की बिल्डिग लेकर सम्राट सिनेमा के पीछे नर्सरी से कक्षा पांच तक का स्कूल संचालित किया। पति के सहयोग से एसडीएम कालोनी में जगह खरीदी और जहां चार कमरों में डिवाइन एज्यूकेशनल नाम से स्कूल शुरू किया। वर्ष 2007 में पति के निधन के बाद दो बच्चों की जिम्मेदारी के बावजूद अपना हौसला नहीं टूटने दिया। स्कूल को बुलंदियों को पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत जारी रखी। स्कूली बच्चों को खुद शिक्षित किया और धीरे-धीरे स्कूल को कक्षा आठ से लेकर दसवीं सीबीएसई श्रेणी में आगे बढ़ाया। आज यह स्कूल सीबीएसई बारहवीं कक्षा तक का स्कूल है। साथ ही दनकौर रोड स्थित निजामपुर के पास एरा स्कूल के नाम से नया स्कूल संचालित किया है। उनका अब अगला लक्ष्य महाविद्यालय स्थापित करना है। जिसमें वह पूरे जीन जान से जुटी है।

--

यदि लक्ष्य प्राप्त करना है तो परिस्थिति कैसी भी हो, हौसला नहीं छोड़ना चाहिए। पढ़ाई कभी व्यर्थ नहीं जाती। इसकी कोई सीमा नहीं होती। यही कारण रहा कि बारहवीं पास होते ही शादी होने के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और अपने लक्ष्य का हासिल किया।--

डा.पूनम शर्मा

chat bot
आपका साथी