फसल अवशेषों को खेत में ही एकत्रित कर बनाएं खाद
जेएनएन बुलंदशहर कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) ने फसल अवशेष प्रबंधन के तहत सिकंदराबाद ब्लाक के ग्राम इनायतपुर में गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें वैज्ञानिकों ने किसानों को फसलों के अवशेषों को खेत में ही एकत्रित कर खाद बनाने की जानकारी दी गई। आगामी फसलों के उन्नत बीजों के रखरखाव से भी अवगत कराया।
जेएनएन, बुलंदशहर : कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) ने फसल अवशेष प्रबंधन के तहत सिकंदराबाद ब्लाक के ग्राम इनायतपुर में गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें वैज्ञानिकों ने किसानों को फसलों के अवशेषों को खेत में ही एकत्रित कर खाद बनाने की जानकारी दी गई। आगामी फसलों के उन्नत बीजों के रखरखाव से भी अवगत कराया।
गोष्ठी में डा. विवेक राज ने किसानों को गेंहू की विभिन्न प्रजातियों के बारे में बताया। कहा कि वर्तमान में गेहूं की करन, वंदना, एचडी 2967, 3266, डीबी डब्ल्यू 0187 प्रजातियां बेहतर उपज दे सकती है। इसके लिए 100 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से में बीज दर की बुवाई करें। गन्ने एवं धान के फसलों के अवशेष को एकत्रित कर भारतीय कृषि अनुसंधान के डी कंपोस्ट कैप्सूल का प्रयोग करें। ताकि फसलों के अवशेषों से गुणवत्तायुक्त खाद तैयार किया जा सके। डा. डी कुमार ने किसानों को सलाह दी कि वह अपने पशुओं का टीकाकरण समय कराएं। जिससे पशुओं में खुरपका एवं मुंहपका बीमारियों से बचाव किया जा सके। उन्होंने कहा कि टीकाकरण में एक ही सुई का प्रयोग से कई पशु बीमार हो सकते हैं। इसलिए प्रत्येक पशु के लिए अलग सुई का इस्तेमाल करें। डा. चन्द्रा ने आलू में लगने वाले झुलसा रोग की जानकारी दी। इसके बचाव के लिए पानी में दो ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से मैंकोजेब का स्प्रे फसल पर करें। राकेश कुमार शर्मा ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के तरीके बताए। डा. रामानंद पटेल ने कहा कि मौसम की जानकारी कर फसलों की वुबाई करें। केवीके के प्रभारी डा. लक्ष्मीकांत ने बताया कि गोष्ठी में करीब 58 किसानों को जागरूक किया गया।