हाई कोर्ट में राम मंदिर का फैसला सुनाने वाले न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा का निधन

नगर के हवेली परिवार में जन्मे इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा का शुक्रवार को निधन हो गया। यह दुखद खबर मिलने के बाद गांव और समाज में शोक की लहर दौड़ गई।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 11:42 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 11:42 PM (IST)
हाई कोर्ट में राम मंदिर का फैसला सुनाने  वाले न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा का निधन
हाई कोर्ट में राम मंदिर का फैसला सुनाने वाले न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा का निधन

जेएनएन, बुलंदशहर। नगर के हवेली परिवार में जन्मे इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा का शुक्रवार को निधन हो गया। यह दुखद खबर मिलने के बाद गांव और समाज में शोक की लहर दौड़ गई।

74 वर्षीय धर्मवीर शर्मा वर्तमान में नोएडा के सेक्टर 12 में रहते थे। उनके परिवारीजन अंकित गौतम ने बताया कि गुरुवार रात वह पूर्ण स्वस्थ थे। शुक्रवार सुबह अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें नोएडा के एक अस्पताल में भर्ती कराया। दोपहर में उन्होंने अंतिम सांस ली। 30 सितंबर 2010 में उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ में रहते हुए राम मंदिर विवाद पर फैसला सुनाया था। फैसला सुनाने के अगले दिन ही वह सेवानिवृत्त हो गए थे। स्थानीय परिवार वालों के मुताबिक, गढ़मुक्तेश्वर में गंगा घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान उनके भाई सत्यदेव गौतम व श्याम गौतम मौजूद रहे। नोएडा में मौजूद स्वजन ने कोरोना व लाकडाउन के चलते नोएडा आने से मना किया था। इस कारण गांव से कोई वहां नहीं जा सका। स्वयं बनाते थे अपना भोजन

अविवाहित रहे धर्मवीर शर्मा अपने छह भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। गांव में उनका सदैव आना-जाना रहता था। सादा जीवन-उच्च विचार के सिद्धांत में विश्वास रखते थे। उनकी सादगी का बड़ा प्रमाण यह भी है कि इतने बड़े और सम्मानित पद पर रहने के बावजूद वह अपना भोजन स्वयं बनाते थे।

पूर्व ब्लाक प्रमुख गौरी शंकर का निधन

अनूपशहर। पूर्व ब्लाक प्रमुख गौरी शंकर राघव का 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। इससे क्षेत्र में शोक छा गया।

अनूपशहर ब्लाक के पूर्व प्रमुख गौरी शंकर राघव का 94 वर्ष की आयु में अपने पैतृक गांव अनीवास में निधन हो गया। वह ब्लाक प्रमुख से पूर्व गांधी शिक्षा निकेतन इंटर कालेज करनपुर के प्रधानाचार्य भी थे। स्वच्छ व ईमानदार छवि होने के कारण पूरे क्षेत्र में उनकी पहचान थी। मस्तराम श्मशान घाट पर उनके पुत्र महाराज सिंह राघव ने मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया। राघव के निधन की सूचना से पूरे क्षेत्र में शोक छा गया।

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