कोरोना काल में दिव्या ने सेवा को ही धर्म माना

कोरोना वायरस के पीक टाइम में जिला अस्पताल सबसे अधिक संवेदनशील रहा क्योंकि यहां तमाम बीमारियों से ग्रस्त मरीज और उनके तीमारदार आते हैं। ऐसे में ड्यूटी करना बहुत मुश्किल ही नहीं बल्कि जिदगी दाव पर लगाने के बराबर था लेकिन जिला अस्पताल की नर्सिंग आफिसर दिव्या ने सेवा को ही धर्म समझा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 08:42 AM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 08:42 AM (IST)
कोरोना काल में दिव्या ने सेवा को ही धर्म माना
कोरोना काल में दिव्या ने सेवा को ही धर्म माना

बुलंदशहर, जेएनएन। कोरोना वायरस के पीक टाइम में जिला अस्पताल सबसे अधिक संवेदनशील रहा क्योंकि यहां तमाम बीमारियों से ग्रस्त मरीज और उनके तीमारदार आते हैं। ऐसे में ड्यूटी करना बहुत मुश्किल ही नहीं बल्कि जिदगी दाव पर लगाने के बराबर था लेकिन जिला अस्पताल की नर्सिंग आफिसर दिव्या ने सेवा को ही धर्म समझा।

शहर के यमुनापुरम निवासी दिव्या भारद्वाज जिला अस्पताल में नर्सिंग आफिसर के पद पर तैनात है। इन्होंने बताया कि जब जिले में पहला वायरस आया तो उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। कर्मचारियों से लेकर डाक्टरों तक में हड़कंप था। मन में आया कि ड्यूटी करेंगे तो वायरस की चपेट में ना आ जाएं। मई और जून माह में देश ही नहीं दुनियाभर में रोजाना कितने ही लोग कोरोना के चलते मौत का शिकार हो रहे थे। घरवालों ने भी समझाया कि अभी ड्यूटी करना मौत को निमंत्रण देने से कम नहीं है। ड्यूटी को लेकर एक रात नींद नहीं फिर मन में आया कि मौत और जिदगी तो ऊपर वाले के हाथ है। ईश्वर को याद किया और ड्यूटी शुरू की। कोरोना की गाइड लाइन का पालन करते हुए अप्रैल से लेकर अब तक लगातार ड्यूटी दे रही हैं। वायरस से बचने के लिए कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाया। अस्पताल में जब मरीज किसी बीमारी से ग्रस्त आते तो उनके पास तक जाना पड़ता था। कई मरीजों के बहुत नजदीक जाना पड़ता है लेकिन ईश्वर की कृपा और मरीजों की दुआओं से वायरस से ये बची रहीं।

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