महिलाओं को कैसे मिले इंसाफ, जब आशा ज्योति केंद्र पर जड़े ताले

आधी आबादी को त्वरित इंसाफ दिलाने के लिए जिले में आशा ज्योति केंद्र खोला गया है। नियमानुसार इन केंद्रों को चौबीस घंटे खोलने के आदेश हैं। संसाधनों की कमी के चलते दिन ढलते ही केंद्र पर ताले जड़ दिए जाते हैं। ऐसे में आधी आबादी को इंसाफ कैसे मिलेगा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 10 Dec 2019 11:58 PM (IST) Updated:Wed, 11 Dec 2019 06:03 AM (IST)
महिलाओं को कैसे मिले इंसाफ, जब आशा ज्योति केंद्र पर जड़े ताले
महिलाओं को कैसे मिले इंसाफ, जब आशा ज्योति केंद्र पर जड़े ताले

बुलंदशहर, जेएनएन। आधी आबादी को त्वरित इंसाफ दिलाने के लिए जिले में आशा ज्योति केंद्र खोला गया है। नियमानुसार इन केंद्रों को चौबीस घंटे खोलने के आदेश हैं। संसाधनों की कमी के चलते दिन ढलते ही केंद्र पर ताले जड़ दिए जाते हैं। ऐसे में आधी आबादी को इंसाफ कैसे मिलेगा।

पुराने जिला महिला अस्पताल के प्रांगण में चार माह पूर्व आशा ज्योति केंद्र खोला गया है। इन केंद्रों में तेजाब, दुष्कर्म, छेड़छाड़, घरेलू हिसा जैसी घटनाओं से पीड़ित किशोरी, युवतियों और महिलाओं को त्वरित सुनवाई करते हुए पीड़िताओं की काउंसलिग की जाती है। जनपद में आशा ज्योति केंद्र के हालात यह हैं कि स्टॉफ के लिए एक गाड़ी मुहैया कराई गई है लेकिन बगैर डीजल के वह बंद पड़ी है। केंद्र पर तैनात महिला काउंसलर्स को छह माह से चयनित कंपनी ने वेतन तक नहीं दिया।

असुरक्षित महसूस कर रहा स्टॉफ

दरअसल, वर्षों से बंद पड़े पुराने महिला अस्पताल दिन ढलते ही वीरानी छा जाती है। यहां न तो किसी वॉचमैन की तैनाती है और न ही संपूर्ण स्टॉफ की। चार महिला पुलिस कांस्टेबल की तैनाती की गई है। इनमें से दो को दिन और अन्य दो को रात में ड्यूटी करनी है। इसके बावजूद महिला कांस्टेबल और काउंसलर खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। जिसके चलते शाम ढलते ही इस केंद्र पर ताले जड़ दिए जाते हैं।

इन्होंने कहा..

स्टॉफ के वेतन के लिए कई बार मुख्यालय को पत्र लिखा जा चुका है, गाड़ी के डीजल बिल का भुगतान ठेकेदार ने नहीं किया है जिसके चलते वाहन की सुविधा नहीं है। स्टॉफ की तैनाती 24 घंटे सुनिश्चित की जाएगी।

-नागेंद्र पाल, समाज कल्याण विभाग

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