गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ..जयघोष से हुई 'बप्पा' की विदाई
गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ जयघोष के साथ कोई डीजे की धुन पर तो थिरक रहा था तो कोई अबीर-गुलाब उड़ा रहा था। किसी ने भगवान गणपति को सिर पर बैठा रखा था तो कोई गोद में लेकर चल रहा था।
बुलंदशहर, जेएनएन। गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ जयघोष के साथ कोई डीजे की धुन पर तो थिरक रहा था तो कोई अबीर-गुलाब उड़ा रहा था। किसी ने भगवान गणपति को सिर पर बैठा रखा था तो कोई गोद में लेकर चल रहा था। नाचते-गाते हुए कारवां वलीपुरा गंगनहर की ओर बढ़ रहा था। मौका था गणपति विसर्जन का। जहां भगवान गजानन की भक्ति से सराबोर श्रद्धालु हर्षोल्लास के साथ घर, मंदिर और पंडाल में विराजित गणपति को गंगनहर में विसर्जित करने जा रहे थे।
गणेश चतुर्थी को शुरू हुआ था पर्व
दरअसल, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का पर्व शुरू हो जाता है। घर, मंदिर और पंडाल में शुभ मुहूर्त में भगवान गणपति को विराजित कर उनकी आराधना शुरू हो जाती है। हैं। गणेश चतुर्थी से 10 दिवसीय गणेश उत्सव प्रारंभ होकर अनंत चतुर्दशी तक संपन्न होते हैं। 19 सितंबर यानि रविवार को अनंत चतुर्दशी के दिन दस दिवसीय गणेश उत्सवों का समापन हो गया। श्रद्धालुओं ने विधि-विधान और हर्षोल्लास के साथ घर, मंदिर और पंडाल में विराजित 'बप्पा' की विदाई की।
विसर्जन शोभायात्राएं निकाल उड़ाया अबीर-गुलाल
शहर में भी विभिन्न स्थानों पर गणपति विसर्जन की सुबह से ही तैयारी शुरू हो गई। जहां श्रद्धालुओं ने भगवान गजानन का विधि-विधान से पूजन किया गया। इसके बाद विसर्जन शोभायात्राएं निकाली गई। जिनमें महिला-पुरुष और युवा श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और नाचते-गाते ओर अबीर-गुलाल उड़ाते हुए भगवान गजानन को वलीपुरा गंगनहर में विसर्जित करने पहुंचे। गंगनहर घाट पर पहुंचकर श्रद्धालुओं ने भगवान गणपति श्रद्धाभाव से आरती उतारी। फिर अगले बरस जल्दी आने की कामना के साथ गंगनहर में विसर्जित किया। प्रसाद वितरण और स्नान आदि से निवृत्त होकर श्रद्धालु घर पहुंचे। कुछ लोगों ने अनंत चतुर्दशी का व्रत भी धारण किया।