किसान हठधर्मिता छोड़ें, सरकार बातचीत से निकाले रास्ता: नरेंद्रानंद

काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने गाजीपुर बार्डर पर जारी किसान आंदोलन पर कहा कि किसानों को हठधर्मिता छोड़नी चाहिए। उन्होंने सरकार को भी किसानों से बातचीत कर बीच का रास्ता निकालने का सुझाव दिया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 11:32 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 11:32 PM (IST)
किसान हठधर्मिता छोड़ें, सरकार बातचीत से निकाले रास्ता: नरेंद्रानंद
किसान हठधर्मिता छोड़ें, सरकार बातचीत से निकाले रास्ता: नरेंद्रानंद

जेएनएन, बुलंदशहर। काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने गाजीपुर बार्डर पर जारी किसान आंदोलन पर कहा कि किसानों को हठधर्मिता छोड़नी चाहिए। उन्होंने सरकार को भी किसानों से बातचीत कर बीच का रास्ता निकालने का सुझाव दिया।

सोमवार को बांके सदन में राजेश अग्रवाल के आवास पर पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा, सरकार ने किसानों की बात सुनी और डेढ़ साल के लिए प्रस्ताव निरस्त करने की बात कही। कृषि कानून में 8-10 बिदु हैं, जो किसान हित में नही हैं लेकिन तीनों कानून में लगभग 50 धाराएं किसानों के फायदे की हैं।

कहा कि किसान आंदोलन को विदेशों के अलावा राजनीतिक दलों से भी फंडिग हो रही है। 50 प्रतिशत लोग खरीदकर लाए हुए हैं। इसे दीर्घकाल तक चलाने की योजना है। कहा कि धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ है, इसलिए भारत को धर्म निरपेक्ष नहीं बल्कि धर्म सापेक्ष होने की जरूरत है। केंद्र सरकार साल दो साल के अंदर अध्यादेश लाकर भारत को हिदू राष्ट्र घोषित करे। यह समय की भी मांग है।

उन्होंने कहा, अयोध्या हिदुओं की आस्था और भक्ति का केंद्र रहा है। भक्तों के बलिदान, संघर्ष और न्याय पालिका की सक्रियता के चलते भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। यह बहुसंख्यक समाज की विजय है। कुंभ स्नान से मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। उन्होंने कहा कि एलकेजी से उच्च शिक्षा तक भारतीय संस्कृति का अध्ययन अनिवार्य होना चाहिए। इसके बाद मोहल्ला रामनगर में संकट मोचन मंदिर पहुंचे। रमेश जैन, राजेश अग्रवाल, कुलदीप सिघल, राकेश गुप्ता, अनिल सिघल मौजूद रहे।

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