गेट से श्रद्धालुओं ने किए मां कात्यायनी के दर्शन

खुर्जा क्षेत्र में नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी के दर्शन श्रद्धालुओं ने मंदिर के द्वार से ही किए। साथ ही मंदिर के बाहर बने मठ पर जल चढ़ाया और मनोकामना स्तंभ पर चुन्नी बांधते हुए कोरोना के खात्मे के लिए मां से प्रार्थना की। हालांकि लाकडाउन के कारण शहर के ही श्रद्धालु मंदिर पहुंचे और श्रद्धालुओं की संख्या भी काफी कम दिखाई दी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 11:23 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 11:23 PM (IST)
गेट से श्रद्धालुओं ने किए मां कात्यायनी के दर्शन
गेट से श्रद्धालुओं ने किए मां कात्यायनी के दर्शन

बुलंदशहर, जेएनएन। खुर्जा क्षेत्र में नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी के दर्शन श्रद्धालुओं ने मंदिर के द्वार से ही किए। साथ ही मंदिर के बाहर बने मठ पर जल चढ़ाया और मनोकामना स्तंभ पर चुन्नी बांधते हुए कोरोना के खात्मे के लिए मां से प्रार्थना की। हालांकि लाकडाउन के कारण शहर के ही श्रद्धालु मंदिर पहुंचे और श्रद्धालुओं की संख्या भी काफी कम दिखाई दी। रविवार को श्रीनवदुर्गा शक्ति मंदिर पर दुर्गा मां के षष्ठम स्वरूप मां कात्यायनी की आराधना विधि-विधान के साथ की गई। मंदिर से जुड़े प्रेमप्रकाश अरोरा ने बताया कि कात्यायन ऋषि ने तप करके देवी से वरदान मांगा कि आप उनके कुल में पुत्री के रूप में जन्म लें। देवी को अजन्मा माना गया है। कात्यायन ऋषि की प्रसन्नता के लिए देवी ने अजन्मा स्वरूप त्याग कर ऋषि कुल में जन्म ले लिया। इसी कारण देवी का नाम कात्यायनी पड़ा। उन्होंने बताया कि कोरोना के चलते मंदिर के गेट से ही श्रद्धालु मातारानी के दर्शन कर रहे हैं। लाकडाउन के चलते रविवार को सुबह के समय मां दुर्गा की आरती में भी श्रद्धालु शामिल नहीं हो सके। नगर के ही कुछ श्रद्धालुओं ने मंदिर पहुंचकर मनोकामना स्तंभ पर चुन्नी बांधते हुए मन्नतें मांगी। श्रद्धालुओं ने की मां कत्यायनी की पूजा-अर्चना

गुलावठी क्षेत्र चैत्र के छठे नवरात्र को श्रद्धालुओं ने मां कात्यायनी की पूजा अर्चना कर सुख शांति की कामना की। मां दुर्गा के छठे स्वरूप को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। कोरोना संक्रमण के चलते श्रद्धालु मंदिर में कमी के साथ पहुंच रहे है। श्रद्धालु उपवास रख घरों से ही मां की आराधना कर रहे है। रविवार को मां कात्यायनी की पूजा अर्चना हुई। मोहल्ला रामनगर में स्थित संकटमोचन मंदिर पर महिलाओं ने संकीर्तन कर माता रानी का गुणगान किया।

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