पैरवी न करने पर हाथों से फिसला 60 साल पुराना खाद गोदाम

सरकारी जमीन पर बने 60 साल पुराने खाद गोदाम पर देर रात वादी ने कब्जा ले लिया है। कोर्ट का आदेश लेकर पहुंचे वादी ने सरकारी खाद गोदाम पर तोड़फोड़ की तो विभाग में हड़कंप मच गया। 1988 से कोर्ट में विचाराधीन मामले में कृषि विभाग ने 2017 में कोई कार्रवाई नहीं की।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 18 Nov 2021 10:35 PM (IST) Updated:Thu, 18 Nov 2021 10:35 PM (IST)
पैरवी न करने पर हाथों से फिसला 60 साल पुराना खाद गोदाम
पैरवी न करने पर हाथों से फिसला 60 साल पुराना खाद गोदाम

बुलंदशहर, जेएनएन। सरकारी जमीन पर बने 60 साल पुराने खाद गोदाम पर देर रात वादी ने कब्जा ले लिया है। कोर्ट का आदेश लेकर पहुंचे वादी ने सरकारी खाद गोदाम पर तोड़फोड़ की तो विभाग में हड़कंप मच गया। 1988 से कोर्ट में विचाराधीन मामले में कृषि विभाग ने 2017 में कोई कार्रवाई नहीं की। विभाग के एक बाबू ने इसकी फाइल दबाए रखी और आलाधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगने दी। नतीजा यह रहा कि कोर्ट ने कृषि विभाग द्वारा पैरवी ने करने, पेश न होने और नोटिस का जवाब न देने पर वादी के हक में फैसला सुनाया है।

मंगलवार की देर रात खुर्जा निवासी वादी अनुराग पालीवाल कोर्ट का आदेश और पुलिस लेकर खुर्जा की नेहरूपुर चुंगी स्थित राजकीय बीज भंडार पहुंचा। जहां वादी के मजदूरों ने सरकारी भवन में तोड़फोड़ की। गोदाम के तमाम दरवाजे और खिड़कियां तोड़ दी गई। मामले की सूचना पाते ही जिला कृषि अधिकारी राहुल तेवतिया और अन्य स्टाफ मौके पर पहुंचे। जहां वादी ने कोर्ट का आदेश दिखाकर गोदाम की जमीन अपने होने का दावा किया। इसके बाद टीम बैरंग लौट गई।

ये है मामला

खुर्जा नगर के नेहरूपुरा की अधिकांश जमीन स्व. दुर्गाप्रसाद के नाम थी। राजकीय कृषि बीज भंडार एवं गोदाम की दो हजार गज से अधिक जमीन को सौर की जमीन दर्शाकर 1960 में यहां सरकारी भवन का निर्माण कराया गया। 1988 में दुर्गा प्रसाद ने राज्य सरकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया और जमीन पर अपना अधिकार बताया। कुछ दिनों बाद दुर्गा प्रसाद की मौत हो गई। इसके बाद इनके बेटे शिवचरण पालीवाल ने केस लड़ा। इनकी भी मौत होने पर उनके बेटे अनुराग पालीवाल कोर्ट गए। दो वर्ष पूर्व इन्होंने हाइकोर्ट से मुकदमा जीता।

बाबू ने दबाई फाइल

चर्चा है कि कृषि विभाग के एक बाबू ने 2017 के बाद अधिकारियों के संज्ञान में इस मुकदमे की फाइल नहीं डाली। 1988 से जारी मुकदमा 1990 में खारिज हो गया था। 1990 में वादी ने दूसरी अपील की। 2015 में कृषि विभाग द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत न करने पर आवेदन रिकाल हुआ। 2017 से कृषि विभाग की फाइल को दबा दिया गया। इसी दौरान कोर्ट ने वादी अनुराग पालीवाल के पक्ष में फैसला सुनाया। इन्होंने कहा..

वर्षों से मुकदमा कोर्ट में विचाराधीन था, मेरी हाल फिलहाल की तैनाती है लेकिन मेरे संज्ञान में इस मामले को नहीं डाला गया। पैरवी न होने के कारण फैसला हमारे अधिकार में नहीं आया। हम फिर कोर्ट जाएंगे।

राहुल तेवतिया जिला कृषि अधिकारी।

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