बाजार में बिकने को तैयार कोरोना की गठरी
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर और लोगों की लापरवाही तेजी से बढ़ी है। चंद रुपयों के लालच में लोग अपनी और अपनों की जिंदगी खतरे में डाल रहे हैं।
बुलंदशहर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर और लोगों की लापरवाही तेजी से बढ़ी है। चंद रुपयों के लालच में लोग अपनी और अपनों की जिंदगी खतरे में डाल रहे हैं। शव यात्रा और अंत्येष्टी के दौरान शव पर दान की गई चादर, चुनरी, साड़ी और पगड़ी को बाजार में बेचा जा रहा है। कुछ लोग इन्हीं पुराने कपड़ों को खरीदकर संक्रमण को न्यौता दे रहे हैं। जिला प्रशासन भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। शमशान में चिताओं के आंकड़े भी लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में सावधानी और कोरोना की गाइडलाइन का पालन ही बचाव का एकमात्र तरीका है।
महज 20 दिनों में जली 44 चिताएं
देवीपुरा स्थित शमशान घाट में रोजाना तीन से चार चिताएं जल रही हैं। यह आंकड़ा अप्रैल माह में अधिक बढ़ा है। फरवरी माह में देवीपुरा स्थित श्मशान में मात्र 41 शवों का दाह संस्कार किया गया। जबकि मार्च माह में भी इतने की शवों का दाह संस्कार किया गया। जबकि अप्रैल माह में एक से 20 तारीख तक महज 20 दिनों में 44 शवों का दाह संस्कार किया गया है। माह में 10 दिन शेष बचे हैं। श्मशान के चौकीदार प्रभात कमल ने बताया कि हालांकि इनमें कोरोना संक्रमितों की संख्या तीन है, हार्ट अटैक, सड़क हादसे और आकस्मिक मौत अधिक हो रही हैं।
ऐसा समय कभी नहीं देखा
देवीपुरा स्थित श्मशान घाट के चौकीदार ने बताया कि शव को लेकर 100 से 400 तक की संख्या में लोग श्मशान आते थे। लेकिन संक्रमण के दौरान 10 से 15 लोग ही शव का दाह संस्कार करने आ रहे हैं। इनमें भी अधिकांश लोग श्मशान के अंदर तक नहीं आते और चिता ठंडी होने से पूर्व ही स्वजन लौट जाते हैं।
शव पर दान किए कपड़े न बांट दें संक्रमण
शवों के ऊपर चादर, चुनरी, साड़ी और पगड़ी आदि दान करने का रिवाज है। देवीपुरा श्मशान में शवों से उतारे गए ऐसे कपड़ों के ढेर लगे हैं। सामान्य तौर पर इन्हें बाजार में कम दामों में बेच दिया जाता है। हालांकि फिलहाल इनका कोई खरीदार चौकीदार को नहीं मिल रहा है। ऐसे में संक्रमित शवों पर चढ़ाए गए कपड़े कहीं संक्रमण न फैला दें। इसकी पूरी आशंका बनी हुई है। वहीं जिला प्रशासन ऐसे कपड़ों के निस्तारण के लिए कोई पहल नहीं कर रहा है।
शमशान में सन्नाटा, जलती मिली चिता
साठा स्थित शमशान घाट पर चिता जलती मिली लेकिन एक भी स्वजन चिता के पास मौजूद नहीं था। हालात ऐसे थे कि चौकीदार शमशान घाट की इमारत में नशे की हालत में मिला। आवाज देने पर बाहर आया तो कितनी चिता, कब जली इसकी जानकारी से उसने इंकार कर दिया। इन्होंने कहा..
शमशान घाट का निरीक्षण किया था, ऐसा मामला सामने नहीं आया। कपड़ों को जलाने के निर्देश दिए थे। यदि इन्हें बेचा जा रहा है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सीडीओ अभिषेक पांडेय