अनदेखी से बंद हो गया अमरपुर का गोआश्रय स्थल

राज्य सरकार जिले में बेसहारा गोवंश संरक्षण के लिए प्रति माह साढे़ तीन लाख रुपये खर्च कर रही है। गोवंश का पेट भरने के लिए जिले में भूसा और हरे चारे के लिए नेपियर ग्रास का भी जिला प्रशासन ने प्रबंध किया है। इसके बावजूद पहासू का गोआश्रय स्थल से गोवंश गायब हैं और इनके लिए बने भूसागृह सूना पड़ा है। पिछले दो माह से एक भी गोवंश इस गोआश्रय स्थल में नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 06:00 AM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 06:00 AM (IST)
अनदेखी से बंद हो गया अमरपुर का गोआश्रय स्थल
अनदेखी से बंद हो गया अमरपुर का गोआश्रय स्थल

जेएनएन, बुलंदशहर। राज्य सरकार जिले में बेसहारा गोवंश संरक्षण के लिए प्रति माह साढे़ तीन लाख रुपये खर्च कर रही है। गोवंश का पेट भरने के लिए जिले में भूसा और हरे चारे के लिए नेपियर ग्रास का भी जिला प्रशासन ने प्रबंध किया है। इसके बावजूद पहासू का गोआश्रय स्थल से गोवंश गायब हैं और इनके लिए बने भूसागृह सूना पड़ा है। पिछले दो माह से एक भी गोवंश इस गोआश्रय स्थल में नहीं है।

पहासू ब्लाक क्षेत्र के गांव अमरपुर के गोआश्रय स्थल में डेढ़ वर्ष पूर्व 42 गोआश्रय संरक्षित थे। पशुपालन विभाग के आंकड़ों पर नजर डाले तो यहां भूसा गृह, पानी की व्यवस्था, हरा चारे की व्यवस्था और चाहरदीवारी की व्यवस्था भी की गई थी। लेकिन देखते ही देखते अमरपुर गोआश्रय स्थल पर वर्तमान में एक भी गोवंश नहीं है। जबकि, मात्र 11 गोवंशों को गोआश्रय स्थल से किसानों में आवंटित किया गया है। ऐसे में 31 गोवंश कहां गए और किसकी सुपुर्दगी में दे दिए इसका जवाब किसी के पास नहीं है। फसल बर्बाद कर रहे बेसहारा गोवंश

गोआश्रय स्थल पर न किसी केयर टेकर की तैनाती है और न ही गोवंश के लिए ग्राम प्रधान रूचि ले रही हैं। गोआश्रय स्थल पर बचे गोवंश को बेसहारा छोड़ दिया गया है। सुबह से शाम तक बेसहारा गोवंश फसलों को खाकर पेट भर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि दो-तीन गोवंश यदाकदा गोआश्रय स्थल के बरामदे में आकर रात को बैठ जाते हैं और सुबह होते ही फिर निकल जाते हैं। ग्राम प्रधानपति सुनील कुमार ने बताया कि गोआश्रय में गोवंश न होने की बात आलाधिकारियों को बता दी गई है।

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इन्होंने कहा..

मामला संज्ञान में नहीं है, जांच कराकर लापरवाही बरतने वाले ग्राम सचिव और ग्राम प्रधान के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

-डा. राजीव सक्सेना, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।

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