रविंद्र नाट्यशाला में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन

नुमाइश मैदान में स्थित रविद्र नाट्यशाला में सोमवार की रात अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Mar 2019 11:02 PM (IST) Updated:Tue, 26 Mar 2019 11:02 PM (IST)
रविंद्र नाट्यशाला में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन
रविंद्र नाट्यशाला में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन

बुलंदशहर : नुमाइश मैदान में स्थित रविद्र नाट्यशाला में सोमवार की रात अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। अध्यक्षता अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रचनाकार जमुना प्रसाद उपाध्याय और संचालन डा. अर्जुन सिसोदिया ने किया। मौके पर देवेंद्र देव और मुकेश निर्विकार को नागरिक सम्मान से नवाजा गया।

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कानपुर से पधारी शिखा शर्मा ने सरस्वती वंदना कर कार्यक्रम का आगाज किया। कविता पाठ करते हुए मनोज चौहान मैनपुर ने कहा कि लगाए घात सरहद पर यहां के वीर बैठे हैं, बनाकर छातियों को देश हित प्राचीर बैठे हैं, सुनाते ही पंडाल तालियों से गुंजायमान हो गया। आलम सुल्तानपुर ने कहा कि कभी तुलसी कभी कबीरा कभी रसखान कह देना, हमारा नाम मत लेना पर हिदुस्तान कह देना। जैसे-जैसे रात बढ़ती गई कवि सम्मेलन परवान पर चढ़ा रहा। झांसी से आए अर्जुन सिंह ने कहा कि लश्कर भी तुम्हारा है सरदार भी तुम्हारा है। हास्य कवि संतोष सागर ने पढ़ा जिस दिन से पड़ गया हूं शादी के झमेले में, उस दिन से रो रहा हूं अकेले में। डा. आलोक बेजान ने कहा कि झिड़कते हैं सुबह शाम जो मां बाप को अपने, वो जाके मंदिरों में पत्थरों से गिड़गिड़ाते हैं, किसी नंग बदन को एक कत्तर भी नहीं देते अजीब लोग हैं दरगाह पर चादर चढ़ाते हैं, पर तालियां बटौरी। वहीं, डा. कमल किशोर कमल, जमना प्रसाद उपाध्याय, फारुख सरल, राम बाबू सिकरवार ने भी अपनी-अपनी कविताएं पढ़ीं। सम्मेलन के समापन पर संयोजक डा. आलोक रंजन ने तमाम कवियों को शॉल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस मौके जिलाधिकारी अभय सिंह और नगर मजिस्ट्रेट विवेक मिश्र आदि प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।

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