रामभरोसे कचहरी : पुलिस सुस्त, दम तोड़ते इंतजाम
जेएनएन बुलंदशहर दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में गैंगस्टर गोगी की कोर्ट रुम में हत्या के बाद प्रदेशभर में न्यायालय परिसर में हाई अलर्ट रहा।
जेएनएन, बुलंदशहर : दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में गैंगस्टर गोगी की कोर्ट रुम में हत्या के बाद प्रदेशभर में न्यायालय परिसर में हाई अलर्ट रहा। प्रदेश-जिले के अधिकारियों ने सुरक्षा बंदोबस्त को पुख्ता व मजबूत करने का आदेश दिया। अपना शहर इस मामले में सुस्त ही दिखा। एनसीआर के हिस्से बुलंदशहर में सुरक्षा बंदोबस्त सख्त करने व बंदियों की सुरक्षा के बजाय पुलिस नींद में दिखी। घटना के संचार माध्यमों में प्रसारित होने के बाद भी कचहरी की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी सड़कों पर टहलते दिखायी दिए। कोई मोबाइल पर चेटिग में मस्त दिखा तो कोई ड्यूटी छोड़कर सड़कों पर टहलता मिला।
वर्ष 16 में कचहरी परिसर में जिला न्यायाधीश कोर्ट के सामने जगत सिंह की हत्या व अधिवक्ता मुरारीलाल की चैंबर में हत्या के बाद सुरक्षा बंदोबस्त सख्त किए गए थे। कचहरी का एक गेट भूड मार्ग पर था। दूसरा एसएसपी कार्यालय की ओर। इसके बाद भूड चौराहा गेट बंद कर दिया गया। मुख्य गेट पर मैटल डिटेक्टर के साथ ही आने वाले हर शख्स की जांच का नियम बनाया गया। कचहरी की सुरक्षा की मानिटरिग एसपी सिटी को सौंपी गयी। इसके अलावा एक इंस्पेक्टर, एक एसआइ, 23 सिपाही व 11 महिला आरक्षी तैनात किए गए। इसके अलावा दस बंदियों को न्यायालय परिसर तक लाने ले जाने को चार सिपाही तैनात किए गए। इन बंदोबस्त की मंशा कचहरी को सुरक्षित करना व बंदियों की महफूज रखना था। बंदोबस्त कागजों में दुरुस्त किए गए। कुछ दिन जमीनी स्तर पर भी इनका क्रियान्वयन हुआ। चंद दिन बाद ही इन्हें संचालित करने वालों ने ही तार-तार कर दिया। वर्तमान हालात देखे, कचहरी की सुरक्षा रामभरोसे हैँ। चेकिग के नाम पर आओ और जाओ की परंपरा का संचालन है। गेट पर मेटल डिटेक्टर तो है लेकिन वह कब से खराब है, इसका पता तैनात पुलिसकर्मियों को ही नहीं है। कचहरी में आने-जाने के कई रास्ते बाउंड्रीवाल तोड़कर बना लिए गए है। आराम से आकर कोई भी कचहरी में सनसनी पैदा कर सकता है। सुरक्षा कर्मियों की नियमित रूप से ड्यूटी तो लगती है, लेकिन वह उनकी मौजूदगी कचहरी के बजाय बाजार व पुलिस आफिस में ज्यादा दिखायी देती है। रोहिणी कोर्ट रुम में हत्या के बाद कचहरी परिसर की सुरक्षा बंदोबस्त की पड़ताल की गयी तो यहां हर कोई लापरवाह दिखा। जांच-पड़ताल के बजाय पुलिस कर्मी मोबाइल पर चेटिग या बातचीत में मशगूल दिखे। जिन पुलिस कर्मियों की कचहरी में ड्यूटी थी वह बाजार में चहलकदमी करते दिखे। गंभीर बात यह है कि इस घटना के बाद अलर्ट होने के बाद भी किसी अधिकारी ने कचहरी में आकर बंदोबस्त परखने का प्रयास नहीं किया। शाम तक बंदियों से हवालात पर पहले की तरह मुलाकात, बातचीत, चाय पीने का सिलसिला व पुराने अंदाज में जाने ले जाने का सिलसिला चलता रहा।