चूल्हा-चौका छोड़ चुनावी प्रचार में जुटीं महिलाएं

आरक्षण के बाद देखा गया कि कुर्सी के चाहत में लोगों ने महिलाओं को मैदान में उतार दिया। इसके बाद प्रधान के अलावा अन्य पदों पर चुनाव लड़ रहीं महिलाएं अब चूल्हा-चौका छोड़कर घर-घर वोट मांग रही हैं। सिर पर साड़ी का पल्लू रखकर बुजुर्ग महिलाओं के पैर छूकर आशीर्वाद के तौर पर वोट मांग रही है। दिन रात यह सिलसिला चल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 11:35 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 11:35 PM (IST)
चूल्हा-चौका छोड़ चुनावी प्रचार में जुटीं महिलाएं
चूल्हा-चौका छोड़ चुनावी प्रचार में जुटीं महिलाएं

जेएनएन, बिजनौर। आरक्षण के बाद देखा गया कि कुर्सी के चाहत में लोगों ने महिलाओं को मैदान में उतार दिया। इसके बाद प्रधान के अलावा अन्य पदों पर चुनाव लड़ रहीं महिलाएं अब चूल्हा-चौका छोड़कर घर-घर वोट मांग रही हैं। सिर पर साड़ी का पल्लू रखकर बुजुर्ग महिलाओं के पैर छूकर आशीर्वाद के तौर पर वोट मांग रही है। दिन रात यह सिलसिला चल रहा है।

आमतौर पर देखा जाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं का समय घर की चहारदीवारी और चूल्हा-चौका में गुजर जाता है। लेकिन, चुनावी दंगल के बीच इसे मजबूरी कहें या फिर राजनीतिक फंडा। महिलाओं को भी चुनावी मैदान में उतार दिया जाता है। इस बार भी त्रिस्तरीय चुनाव में ऐसा ही देखने को मिला है। जलीलपुर ब्लाक क्षेत्र में हुए आरक्षण के बाद पुरुषों के अलावा 37 महिलाएं प्रधानी चुनाव में हैं। बीडीसी पद के लिए 44 तो जिला पंचायत सदस्य के लिए दस महिलाएं चुनाव लड़ रही हैं। अब जब मतदान के लिए बहुत कम समय बचा है, तो ऐसे में महिलाएं भी चूल्हा चौका व अन्य काम काज छोड़कर वोट मांग रही हैं। गांव-गांव चौपालों पर हुक्का गुड़गुड़ा रहे बड़े बुजुर्गो का आशीर्वाद लेकर वह बेझिझक वोट मांग रही हैं। ऐसे घर-घर पहुंच बुजुर्ग व रिश्ते में बड़ी महिलाओं के पैर छूने का सिलसिला चल रहा है। ग्राम प्रधान पद की प्रत्याशी हों या फिर जिला पंचायत सदस्य पद की। सभी सुबह से लेकर शाम तक वोट मांगने के लिए घर-घर दस्तक दे रही हैं और वायदों का पिटारा खोल रही हैं। कम समय में वोटरों के बीच पहुंचने के लिए पूरी प्लानिग की जा रही है। ताकि, कोई घर प्रचार के लिए छूट न जाएं। इससे कहीं न कहीं महिला वोटरों को भी रिझाने का काम किया जा रहा है।

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