बदहाल व्यवस्था से इलाज को तरस रहे ग्रामीण

बिजनौर जेएनएन। क्षेत्र के गांव मोरना में स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र बिना बिजली पानी की सुविधा के बदह

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 05:25 PM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 05:25 PM (IST)
बदहाल व्यवस्था से इलाज को तरस रहे ग्रामीण
बदहाल व्यवस्था से इलाज को तरस रहे ग्रामीण

बिजनौर, जेएनएन। क्षेत्र के गांव मोरना में स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र बिना बिजली पानी की सुविधा के बदहाली की कगार पर पहुंच गया है। कर्मचारियों के नाम पर केवल एक फार्मेसिस्ट के सहारे ही केंद्र चल रहा है। जबकि दस साल पहले आसपास के आधा दर्जन से अधिक गांवों की सुविधा के लिए यह स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया था। वहीं केंद्र को जाने वाला मुख्य मार्ग भी बदहाल अवस्था में है।

गांव मोरना में वर्ष 2010 में क्षेत्र के ग्रामीणों की सुविधा के लिए उप स्वास्थ्य केंद्र खोला गया था। जनता की सुविधा के लिए यहां चार बैड और चिकित्सा संबंधी अन्य व्यवस्थाएं की गई थीं। लेकिन इतने वर्षों में आज तक भी ग्रामीणों को यहां पर ठीक प्रकार से इलाज मिलना शुरू नहीं हो सका है। आज तक यहां डाक्टर की तैनाती नहीं हो सकी है। केवल एक फार्माेसिस्ट के सहारे ही केंद्र चलाया जा रहा है। मरीजों की जांच और अन्य सुविधा तो दूर यहां ठीक प्रकार से प्राथमिक उपचार भी नहीं मिल पाता है। जिससे ग्रामीणों को धामपुर सीएचसी, नूरपुर या अन्य स्थानों का रुख करना पड़ता है।

जंगल के बीच है बदहाल रास्ता

गांव से दूर जंगल के पास बने स्वास्थ्य केंद्र तक ग्रामीणों पहुंचना भी आसान नहीं है। इस तक पहुंचने वाला मुख्य संपर्क मार्ग भी बदहाल है। आज तक पक्का रोड नहीं बन पाया है। जिससे कच्चे रास्ते से ही ग्रामीणों को गुजरना पड़ता है। बरसात में तो यहां से गुजरना भी मुश्किल है। इस केंद्र के आसपास मोरना, अथाई, कोट, ढेला, सादपुर, सोलन और अलाउद्दीनपुर आदि गांव स्थित हैं। इलाज की पर्याप्त सुविधा न होने से यहां के मरीजों को बाहर का रुख करना पड़ता है।

बिजली-पानी की भी व्यवस्थ नहीं :

इस केंद्र को विभाग द्वारा शुरू तो करा दिया गया है लेकिन लंबा समय बीतने पर भी यहां बिजली व पेयजल की व्यवस्था नहीं हो सकी है। यहां मौजूद कर्मचारियों और आने वाले मरीजों को केवल एक हैंड पंप का सहारा है। केंद्र परिसर में आवास बने हुए हैं, लेकिन बिजली न होने से कर्मचारी यहां रात में नहीं रुकते हैं। आसपास जंगल होने के कारण जानवरों का खतरा बना रहता है। फार्मेसिस्ट के अलावा केवल एक सफाई कर्मी व चौकीदार तैनात है। ग्रामीण बलजीत सिंह, प्रमोद कुमार, शकील, नईम, ओमप्रकाश, गौरव, ताहिर, जयप्रकाश, धीरेंद्र, कुलवीर आदि का कहना है कि ग्रामीणों ने कई बार सुविधाओं के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी से मांग की है। तीन वर्षों से तैनात फार्मेसिस्ट राजेंद्र सिंह का कहना है कि उच्चाधिकारियों को समस्याओं से अवगत कराया गया है।

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