जीवन संगिनी के लिए उपवास रखना बेहद खास

करवा चौथ यानि पति-पत्नी के अटूट विश्वास और बंधन का प्रतीक पर्व। पति की दीर्घायु की कामना के लिए सुहागिन तो व्रत रखती ही हैं लेकिन जीवन संगिनी के लिए पति भी साथ के लिए निभाने से पीछे नहीं है। कुछ पति ऐसे भी हैं जो पत्नियों के लिए उपवास रखना बेहद खास मानते हैं और वर्षों से उनके साथ निर्जल व्रत रखते आ रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 11:02 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 11:02 PM (IST)
जीवन संगिनी के लिए उपवास रखना बेहद खास
जीवन संगिनी के लिए उपवास रखना बेहद खास

जेएनएन, बिजनौर। करवा चौथ यानि पति-पत्नी के अटूट विश्वास और बंधन का प्रतीक पर्व। पति की दीर्घायु की कामना के लिए सुहागिन तो व्रत रखती ही हैं, लेकिन जीवन संगिनी के लिए पति भी साथ के लिए निभाने से पीछे नहीं है। कुछ पति ऐसे भी हैं, जो पत्नियों के लिए उपवास रखना बेहद खास मानते हैं और वर्षों से उनके साथ निर्जल व्रत रखते आ रहे हैं। ऐसे में उन्हें वैवाहिक संबंधों को नवजीवन मिलने और प्यार दोगुना होने का एहसास होता है। जिससे उनके लिए करवाचौथ का पर्व बेहद खास बन जाता है।

मोहल्ला साहुवान निवासी सचिन अग्रवाल ने बताया कि 18 वर्ष पूर्व उनका प्रेम विवाह हुआ। तब से ही वह अपनी पत्नी के साथ-साथ करवाचौथ का व्रत रख रहे हैं। पूजा करने के बाद दोनों एक-दूसरे को पानी पिलाकर व्रत खोलते हैं।

मोहल्ला विवेक नगर के सभासद मंदीप चौधरी ने बताया कि वह 15 वर्षो से करवाचौथ का व्रत करते आ रहे हैं। वह भी यही चाहते हैं कि केवल पत्नी ही क्यों दिन भर भूखी-प्यासी रहे। करवाचौथ वास्तव में परस्पर स्नेह और आस्था का त्योहार है। एक दूसरे के प्रति समर्पण भाव प्रेम को दोगुना कर देता है।

मोहल्ला सरायरफी निवासी विकास गर्ग बताते हैं कि पत्नी पति के सुख के लिए सबकुछ त्याग देती है। करवाचौथ दोनों के प्रेम का प्रतीक पर्व है। वह पिछले छह वर्षो से अपनी पत्नी के साथ करवाचौथ का व्रत रखते आ रहे हैं।

नूरपुर रोड निवासी सचिन गोयल का कहना है कि बदलते दौर में जब पत्नी हर काम में पति के कंधे से कंधा मिलाकर चलती है, तो करवाचौथ पर व्रत एक साथ क्यों नहीं, इस सोच को सम्मान मिलना चाहिए। पत्नी के समर्पण को देखते हुए वह 12 वर्षों से यह व्रत रखते आ रहे हैं।

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