यूपी पुलिस नहीं मान रही उत्तराखंड का ई-पास

यूपी-उत्तराखंड सीमा पर स्थित भागूवाला चौकी पर पुलिस की सघन चेकिग चल रही है। कुछ वाहन स्वामियों ने उत्तराखंड की वेबसाइट पर देहरादून स्मार्ट सिटी का ई-पास दिखाया। जिसे यूपी पुलिस ने नकार दिया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 11:36 AM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 11:36 AM (IST)
यूपी पुलिस नहीं मान रही उत्तराखंड का ई-पास
यूपी पुलिस नहीं मान रही उत्तराखंड का ई-पास

बिजनौर, जेएनएन। यूपी-उत्तराखंड सीमा पर स्थित भागूवाला चौकी पर पुलिस की सघन चेकिग चल रही है। कुछ वाहन स्वामियों ने उत्तराखंड की वेबसाइट पर देहरादून स्मार्ट सिटी का ई-पास दिखाया। जिसे यूपी पुलिस ने नकार दिया। पुलिसकर्मियों ने कहा कि हम उत्तराखंड की नहीं, उत्तर प्रदेश सरकार की गाइडलाइन के अनुसार कार्य करेंगे।

उत्तराखंड के रामनगर, अल्मोड़ा से हरिद्वार, देहरादून जाने के लिए उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के अफजलगढ़, धामपुर, नजीबाबाद से ही रास्ता जाता है। उत्तराखंडवासी देहरादून स्मार्ट सिटी का ई-पास लेकर चले हैं, लेकिन थाना मंडावली पुलिस की चौकी भागूवाला पर तैनात पुलिस ई-पास को अस्वीकार कर रहे हैं और उनके वाहनों का चालान काट रहे हैं। उत्तराखंड से उत्तराखंड में जाने वाले लोगों ने यूपी-उत्तराखंड सीमा पर चेकिग कर रहे यूपी के पुलिसकर्मियों के समक्ष सवाल खड़ा किया है कि ऐसी परिस्थिति में उत्तराखंडवासियों को क्या उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश दोनों राज्यों का ई-पास लेना होगा।

मरीजों की फूली सांसे, तीमारदार परेशान

चांदपुर: कोरोना के मरीजों को सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज मिलना मुश्किल हो रहा है। किसी तरह भर्ती होने के बाद आक्सीजन की जरूरत पड़े तो व्यवस्था करने में समस्या हो जाती है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कोरोना मरीजों को भर्ती भले की कर लिया जाए, लेकिन गंभीर मरीजों को जिला अस्पताल रेफर किया जाता है। मरीजों को आक्सीजन कमी होने पर सिलेंडर की व्यवस्था समय पर करना तीमारदार के लिए बड़ी चुनौती होता है। केस-1: नूरपुर के मोहल्ला चौधरियान निवासी वरुण चौधरी की पत्नी चार दिन पहले बुखार से तबीयत बिगड़ी तो सांस लेने में दिक्कत हुई। सरकारी अस्पताल में उपचार नहीं मिला तो मजबूरन निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। वहां आक्सीजन भी मिली, लेकिन बाद में स्थिति और बिगड़ी और वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ी। सरकारी अस्पताल से लेकर जिले के नामचीन अस्पतालों तक में वेंटिलेटर नहीं मिला। जिसके अभाव में उनकी पत्नी की मौत हो गई।

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केस-2: नूरपुर के गांव रोशनपुर जागीर निवासी ओमप्रकाश चौहान ने बताया कि उनकी माता पिछले चार दिन से बुखार है और सांस लेने की समस्या हो रही है। स्थानीय अस्पतालों के अलावा जिला अस्पताल में चक्कर काट, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में मुरादाबाद के एक निजी अस्पताल इलाज मिला, लेकिन वहां आक्सीजन का स्तर गिर गया। वहां से भी वापस भेज दिया गया। नूरपुर वापस लाया गया तो यहां आक्सीजन की कोई सुविधा नही मिली। मजबूरन अब उनका घर पर ही इलाज चल रहा है और हालत गंभीर है।

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