जल सहेजने को बीस बीघा में बना डाले तीन माडल तालाब

जल सहेजने के लिए सरकार निरंतर नए प्रयास कर रही है लेकिन क्षेत्र के एक युवा अधिवक्ता इकबाल खां ने जल सरंक्षण के लिए अनूठी पहल की है। भूगर्भ जलस्तर को सुधारने के लिए उन्होंने अपनी बीस बीघा जमीन पर गन्ना या अन्य फसल उगाने के बजाए तीन तीन माडल तालाब तैयार किए हैं। यही नहीं उनमें जल संचयन का कार्य भी शुरू कर दिया है। तालाब में जल सहेजने का कार्य किसी मिसाल से कम नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 09:21 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 09:21 AM (IST)
जल सहेजने को बीस बीघा में बना डाले तीन माडल तालाब
जल सहेजने को बीस बीघा में बना डाले तीन माडल तालाब

जेएनएन, बिजनौर। जल सहेजने के लिए सरकार निरंतर नए प्रयास कर रही है, लेकिन क्षेत्र के एक युवा अधिवक्ता इकबाल खां ने जल सरंक्षण के लिए अनूठी पहल की है। भूगर्भ जलस्तर को सुधारने के लिए उन्होंने अपनी बीस बीघा जमीन पर गन्ना या अन्य फसल उगाने के बजाए तीन तीन माडल तालाब तैयार किए हैं। यही नहीं उनमें जल संचयन का कार्य भी शुरू कर दिया है। तालाब में जल सहेजने का कार्य किसी मिसाल से कम नहीं है।

ब्लाक क्षेत्र के गांव मंझौला बिल्लौच निवासी असद इकबाल खां दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते हैं। गांव में उनकी करीब पचास बीघा जमीन है। जिसमें तकरीबन बीस बीघा में आम का बाग है। शेष जमीन पर गन्ने की फसल होती है। देश की राजधानी की चकाचौंध में रहने के बावजूद उन्हें गांव की माटी से बहुत लगाव है। लिहाजा, बीच- बीच में आकर खेती का कार्य भी देखते हैं। हालांकि, पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसान गन्ने की फसल पर अधिक आधारित है। लेकिन, उन्होंने गन्ने की फसल की बुवाई न करते हुए तालाब में जल संचयन की योजना बनाई। अधिवक्ता असद इकबाल खां ने बीस बीघा जमीन में तीन माडल तालाब तैयार करने की प्लानिग की। उनका उद्देश्य था कि तालाबों में जल संचयन के साथ-साथ मछली पालन भी किया जाए। वह पिछले चार माह से गांव में रहकर तालाबों की तैयार कराते हुए उनमें जल संचयन करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके इस कदम से जहां निरंतर गिरते भूगर्भ जलस्तर को बचाया जा सकेगा। वहीं क्षेत्र के छोटे बड़े काश्तकारों को भी सीख मिलेगी। उल्लेखनीय है कि जहां सरकार द्वारा ग्राम सभाओं में सरकारी तालाबों में मनरेगा योजनांर्गत लाखों रुपये का बजट खर्च करने के बाद भी जलसंचय नहीं कराया जा सका। वहीं क्षेत्र में कई किसानों ने मछली पालन का कारोबार की शुरूआत करते हुए तालाबों को पानी से लबालब कर दिखाया है। अधिवक्ता की यह पहल लोगों के लिए मिसाल बन रही है।

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