लागत के बराबर भी नहीं मिल रहे पुतले के दाम
नजीबाबाद में विजयदशमी पर्व के लिए नगर में करीब 70 वर्षों से दो परिवार रावण कुंभकरण और मेघनाथ का पुतला बना रहे हैं। कोरोना काल ने पुतला बनाने वाले कारीगरों को प्रभावित किया है।
जेएनएन, बिजनौर। नजीबाबाद में विजयदशमी पर्व के लिए नगर में करीब 70 वर्षों से दो परिवार रावण, कुंभकरण और मेघनाथ का पुतला बना रहे हैं। कोरोना काल ने पुतला बनाने वाले कारीगरों को प्रभावित किया है। पिछले साल के अपेक्षा इस साल पुतलों की डिमांड आने से कारीगरों को काम तो मिला है, पर पुतलों का सही दाम नहीं मिलने से हतोत्साहित हैं।
नगर के मोहल्ला बसंती माता और कबाड़ी मार्केट में दो कारीगरों के परिवार विजयदशमी पर्व के लिए पुतला बनाने का काम करते हैं। कारीगर शहजाद व हबीबुर्रहमान का कहना है कि रावण, कुंभकरण व मेघनाथ का पुतला बनाने उनका पैतृक काम है। उनके दादा-परदादा पुतले बनाकर परिवार को पालन-पोषण करते रहे। आज समय बदल गया है और कोरोना महामारी ने पुतला कारोबार को बहुत अधिक प्रभावित किया है। पिछले साल दशहरा पर्व पर एक भी पुतला बनाने की डिमांड नहीं आई। लेकिन इस बार पुतला बनाने की डिमांड तो आई लेकिन पुतला बनने में लगी लागत के बराबर ही कीमत मिल पा रही है। रामलीला आयोजक भी पहले रावण सहित कुंभकरण, मेघनाथ आदि का पुतला बनवाते थे, लेकिन महंगाई को देखते हुए केवल रावण का पुतला ही बनवा रहे हैं। शहजाद व हबीबुर्रहमान बताते है कि एक रावण का पुतला बनाने में करीब 12 से 15 हजार रुपये की लागत आती है। करीब दस से 12 दिनों में आधा दर्जन कारीगर एक पुतला तैयार करते हैं। हालांकि इस बार नहटौर, धामपुर, सिकंदरपुर बसी, गुनियापुर, कोटद्वार, लैंसडाउन, बढ़ापुर से रावण का पुतला बनाने का आर्डर मिला है। एक मात्र नजीबाबाद के रामलीला आयोजकों ने रावण, कुंभकरण व मेघनाथ के पुतले बनाने का आर्डर दिया है।