रामलीला मंच से बुलंद हुई थी आजादी के संघर्ष की आवाज

बिजनौर जेएनएन। धामपुर तहसील क्षेत्र के गांव मोरना की ऐतिहासिक रामलीला आजादी की लड़ाई के

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 07:49 AM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 07:49 AM (IST)
रामलीला मंच से बुलंद हुई थी आजादी के संघर्ष की आवाज
रामलीला मंच से बुलंद हुई थी आजादी के संघर्ष की आवाज

बिजनौर, जेएनएन। धामपुर तहसील क्षेत्र के गांव मोरना की ऐतिहासिक रामलीला आजादी की लड़ाई के संघर्ष की यादें संजोए हुए है। करीब 84 वर्ष पहले रामलीला मंच से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका गया था। हालांकि उस समय अंग्रेजों द्वारा किसी भी प्रकार की सभा या आयोजनों पर रोक थी, लेकिन देशभक्तों ने आजादी के संघर्ष के लिए रामलीला के मंच को माध्यम बनाया।

गांव मोरना की रामलीला वर्ष 1936 में प्रारंभ हुई। गांव निवासी वृद्धजनों के जहन में आज भी पुरानी यादें ताजा हैं। गांव निवासी करीब 95 वर्षीय वयोवृद्ध बलचरन सिंह बताते हैं कि गांव में देवता स्थल पर रामलीला का मंचन शुरू हुआ था। यह समय वो था जब देश में आजादी की जंग का बिगुल फुंक चुका था और अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष अपने चरम पर पहुंच रहा था। उस समय अंग्रेज हर प्रकार से देशवासियों की आवाज दबाने का प्रयास कर रहे थे। किसी भी प्रकार की सभा या बैठक पर रोक थी, ऐसे में आजादी की लड़ाई में अपना योगदान देने वालों ने गांव में हो रहे रामलीला के मंच को ही माध्यम बनाया। उन्होंने रामलीला के साथ-साथ आजादी की लड़ाई का संदेश भी रामलीला देखने आने वालों तक पहुंचाया। इसी का परिणाम रहा कि मोरना सहित धामपुर तहसील क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद हो गई।

परंपरा को निभा रहे कलाकार

मोरना की ऐतिहासिक रामलीला की परंपरा को आज भी कलाकार निभाते चले आ रहे हैं। कोरोना संक्रमण के चलते हालांकि इस बार अधिक भीड़ नहीं जुट रही है, लेकिन रामलीला के मंचन की परंपरा इस बार भी निभाई जा रही है। इसमें प्रतिभाग करने वाले कलाकार युवा, नौकरीपेशा, शिक्षित, एडवोकेट, इंजीनियर और व्यापारी आदि हैं। सरकारी सहित निजी विभागों में कार्यरत हैं, लेकिन हर साल परंपरा को निभाते हुए रामलीला के लिए छुट्टियां लेकर समय निकालते हैं। दो सगे भाई गौतम सत्यदेव और सौरभ सत्यदेव राम-लक्ष्मण का किरदार निभाते हैं। गौतम कुमार नोएडा में एक कंपनी में इंजीनियर हैं, जबकि सौरभ गांव में खेती करते हैं। पीएचसी नूरपुर में कार्यरत प्रेम कुमार चौहान बाली का अभिनय करते हैं। कलाकार परवेंद्र कुरुक्षेत्र में गन्ना विभाग में कर्मचारी हैं। सोनू शर्मा स्वास्थ्य विभाग बिजनौर में कार्यरत हैं। पवन कुमार जिला सहकारी बैंक में कैशियर के पद पर कार्यरत हैं। नई पीढ़ी भी इन कलाकारों से प्रेरणा ले रही है।

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