दोस्ती का आधार प्रेम विश्वास और एक-दूसरे की परवाह
एक शहर में रमन और राघव नाम के दो दोस्त रहा करते थे। रमन धनी परिवार का था और राघव गरीब। हैसियत में अंतर होने के बावजूद दोनों पक्के दोस्त थे। एक साथ स्कूल जाते खेलते घूमते और खाते-पीते अपना समय व्यतीत करते थे।
बिजनौर, जेएनएन। एक शहर में रमन और राघव नाम के दो दोस्त रहा करते थे। रमन धनी परिवार का था और राघव गरीब। हैसियत में अंतर होने के बावजूद दोनों पक्के दोस्त थे। एक साथ स्कूल जाते खेलते घूमते और खाते-पीते अपना समय व्यतीत करते थे। उनका अधिकांश समय एक दूसरे के साथ ही गुजरता था और दोनों बड़े हो गए। रमन ने अपना पारिवारिक व्यवसाय संभाल लिया और राघव ने छोटी सी नौकरी तलाश कर ली। जिम्मेदारियों का बोझ सिर पर आने के बाद दोनों के लिए एक-दूसरे के साथ पहले जैसा समय गुजार पाना संभव नहीं था।
जब मौका मिलता तो जरूर उनकी मुलाकात होती, एक दिन रमन को पता चला की राघव बीमार है। वह उसे देखने के लिए उसके घर चला गया और हालचाल पूछने के बाद रमन वहां अधिक देर नहीं रुका। उसने अपनी जेब से कुछ पैसे निकाले और राघव के हाथ में थमा कर वापस चला गया। राघव को रमन के इस व्यवहार पर बहुत दुख हुआ, लेकिन उसने अपने दोस्त को कुछ नहीं बोला। ठीक होने के बाद उसने कड़ी मेहनत की और पैसों का प्रबंध कर रमन के पैसे लौटा दिए। कुछ ही दिन बीते ही कि रमन बीमार पड़ गया। जब राघव को रमन के बारे में मालूम चला तो वह अपना काम छोड़ भागा। रमन के पास गया और तब तक उसके साथ रहा जब तक वह स्वस्थ नहीं हो गया। राघव का यह व्यवहार रमन को उसकी गलती का एहसास करा गया। वह ग्लानि से भर उठा। एक दिन वह राघव के घर गया और उससे अपने किए की माफी मांगते हुए बोला। दोस्त जब तुम बीमार पड़े थे, तो मैं तुम्हें पैसे देकर चला आया था, लेकिन जब मैं बीमार पड़ा तो तुम मेरे साथ रहे। मेरा हर तरह से ख्याल रखा, मेरी सेवा की और मुझे अपनेपन का एहसास दिलाया। मुझे अपने किए पर बहुत शर्मिंदगी है। दोस्त मुझे माफ कर दो, राघव ने रमन को गले से लगा लिया और बोला कोई बात नहीं दोस्त मैं खुश हूं कि तुम्हें यह एहसास हो गया कि दोस्ती में पैसा मायने नहीं रखता बल्कि एक-दूसरे के प्रति प्रेम करुणा व एक दूसरे के लिए परवाह मायने रखती है। दोस्ती में एक दूसरे के लिए अपनेपन का एहसास ही है, जो हमें दोस्ती की परख भी कराती है। सच्चा दोस्त ही बुरे समय में सबसे पहले याद आता है। अत: दोस्ती में पैसों का मोल नहीं होता। हमें यह दो दोस्तों की कहानी यह सीख देती है की पैसों से तौल कर दोस्ती को शर्मिंदा नहीं करना चाहिए। दोस्ती का आधार प्रेम विश्वास और एक दूसरे की परवाह है।
- इंद्रपाल सिंह, प्रधानाचार्य, केएस चिल्ड्रेंस अकेडमी