मुस्लिम बहुल गांव में सत्यपाल ने बच्चों को पढ़ाई उर्दू

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिदी हैं हम वतन है हिदोस्तां हमारा.. दार्शनिक मोहम्मद इकबाल के लिखे गीत की इस पंक्ति को मूर्तरूप देते हुए एक शिक्षक स्वतंत्रता के सारथी बने। शिक्षक सत्यपाल सिंह ने न केवल उर्दू जबान के साथ जीवन जीया बल्कि मुस्लिम तहजीब के मानकों को सीखा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 11:01 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 06:07 AM (IST)
मुस्लिम बहुल गांव में सत्यपाल ने बच्चों को पढ़ाई उर्दू
मुस्लिम बहुल गांव में सत्यपाल ने बच्चों को पढ़ाई उर्दू

बिजनौर, जेएनएन। मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, हिदी हैं हम, वतन है हिदोस्तां हमारा.. दार्शनिक मोहम्मद इकबाल के लिखे गीत की इस पंक्ति को मूर्तरूप देते हुए एक शिक्षक स्वतंत्रता के सारथी बने। शिक्षक सत्यपाल सिंह ने न केवल उर्दू जबान के साथ जीवन जीया, बल्कि मुस्लिम तहजीब के मानकों को सीखा। उर्दू शिक्षक न होते हुए भी सत्यपाल सिंह ने प्राथमिक विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों को उर्दू विषय पढ़ाते हुए संविधान में संस्कृति के अधिकार की नींव को मजबूती दी।

बात 70 के दशक की है, जब इंटर पास करने के बाद सत्यपाल सिंह आगे नहीं पढ़ सके थे और रोजगार की तलाश में थे। तब उन्होंने जगन्नाथ चौक स्थित दुकान पर पहुंचकर जुबैर हसन से उर्दू पढ़ाने की गुजारिश की थी। रोजगार तो मिल नहीं रहा था, लेकिन उर्दू का कायदा लेकर उर्दू सीखने की मुहिम चल रही थी। उस समय दुकान पर बैठने वाले जुबैर हसन के मित्र मोहम्मद तनवीर, हफीजुर्रहमान ने उर्दू सीखने की ललक की सराहना की थी।

वर्ष 1974 में राजकीय दीक्षा विद्यालय बिजनौर से बीटीसी उत्तीर्ण करने का लाभ 15 वर्ष बाद बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक नियुक्त होने के रूप में मिला। विभिन्न स्कूलों में अध्यापन करने के बाद सत्यपाल सिंह को वर्ष 2000 में मुस्लिम बहुल गांव करमसखेड़ी में प्रधानाध्यापक नियुक्त किया गया था।

यहीं से सत्यपाल सिंह के जीवन में नया मोड़ आया। उर्दू जबान और मुस्लिम संस्कृति का जानकार होने के कारण सत्यपाल सिंह ने स्कूल में विद्यार्थियों को उर्दू पढ़ाना शुरू किया। जिससे विद्यालय में छात्र संख्या तीन गुना से ज्यादा बढ़ गई। सेवानिवृत्ति से पहले जहां डीएम ने उन्हें पुरस्कृत किया, वहीं सेवानिवृत्ति होने पर ग्रामीणों ने उपहार के रूप में मोबाइल भेंट कर भावभीनी विदाई दी थी।

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उर्दू से लगाव और मुस्लिमों

से नजदीकियों ने दी दिशा

सत्यपाल सिंह का जुनून देखते हुए गांव करमसखेड़ी में मोहम्मद अय्यूब, मोहम्मद शमीम का सानिध्य मिला। शिक्षामित्र मोहम्मद राशिद के अलावा गजरौला पाईमार विद्यालय के शिक्षक मोहम्मद खालिक, मंजूर हसन, मोहम्मद नाजिर, नफीस अहमद आदि की संगत मिली। करमसखेड़ी स्कूल में बिताए 13 वर्षों के दौरान तीन ग्राम प्रधान शायदा, मोहम्मद सरफराज एवं अतीक अहमद का सहयोग भी मिला।

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