गुरु के आदर्शो को अपना कर मिलेगी सफलता
धामपुर में पंजाबी कालोनी स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा में बुधवार को गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाशोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। गुरु के जयकारों से पूरा गुरुद्वारा गुंजायमान रहा बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गुरु का गुणगान किया।
जेएनएन, बिजनौर। धामपुर में पंजाबी कालोनी स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा में बुधवार को गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाशोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। गुरु के जयकारों से पूरा गुरुद्वारा गुंजायमान रहा, बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गुरु का गुणगान किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में एसपी डा. धर्मवीर सिंह पहुंचे, जिन्होंने गुरु के आदर्शों और सिद्धांतों को जीवन में अपनाने को प्रेरित किया।
बुधवार को गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाशोत्सव पर्व पर पंजाबी कालोनी स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा में कार्यक्रम आयोजित किए गए। दीवान हाल में शबद कीर्तन और गुरुबाणी पाठ में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। एसपी डा. धर्मवीर सिंह को गुरुद्वारे के प्रधान सतवंत सिंह सलूजा, एपी सलूजा, गुरशरण सिंह मोहन और अन्य सदस्यों ने स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। डा. धर्मवीर सिंह ने कहा कि गुरु महाराज ने खालसा पंथ की स्थापना की, जिसमें जीवन जीने के पांच सिद्धांत दिए। उनका जीवन परोपकार और त्याग का प्रत्यक्ष उदाहरण है। वे जीवन भर अन्याय, अधर्म, अत्याचार और दमन के खिलाफ लड़े। गुरु के तौर पर उन्होंने मानवता को शांति, प्रेम, करुणा, एकता और समानता की सीख दी। उनके आदर्शों और सिद्धांतों को जीवन में अपनाकर आगे बढ़ना चाहिए।
कार्यक्रम उपरांत गुरु के अटूट लंगर का भी आयोजन किया गया। इस दौरान विशिष्ट अतिथि डा. एनपी सिंह, आशीष राजपूत, भूपेन्द्र सिंह, जावेद रहमान शम्सी, दिनेशचंद अग्रवाल, विजय जैन, नरेन्द्र गुप्ता, अवनी कुमार सिंह, अब्दुल बारी आदि को सम्मानित किया गया। प्रबंध समिति की ओर से सरदार सतवंत सिंह सलूजा, हरभजन सिंह, रविद्र सिंह, अमरजीत सिंह, त्रिलोचन सिंह, सतपाल सिंह चावला, गुलशन लाल छाबड़ा आदि मौजूद रहे।
इसके अलावा अफजलगढ़ में गुरुद्वारा माता साहिब कौर जी भलाई केंद्र में हर्षोल्लास से प्रकाश पर्व मनाया गया। शबद कीर्तन बीबी कुलदीप कौर, जसप्रीत कौर, समरीत कौर ने किया। इस दौरान जोगेंद्र सिंह, गुरविद्र सिंह, जसवंत सिंह, रमेल सिंह तथा गुमनाम सिंह आदि मौजूद रहे। नहटौर में गुरुद्वारा में अखंड पाठ व लंगर का आयोजन किया गया। गुरुज्ञानी अमरजीत ने संगत को गुरुबाणी से निहाल किया और गुरु के आदर्शों पर चलने को प्रेरित किया।