रामौरूपुर के सीवानी तालाब को है जीर्णाेद्धार की जरूरत
ग्रामीण क्षेत्रों में जलस्त्रोत की मुख्य धारा कहे जाने वाले तालाब अस्तित्व खोते जा रहे हैं। जहां तालाब हैं वहां पानी की जगह ऊंची-ऊंची झाड़िया गंदगी व अतिक्रमण नजर आता है। यदि इन तालाबों पर ध्यान दिया जाए तो यह जल संचयन का मुख्य स्त्रोत बन सकते हैं। गांव रामौरूपपुर स्थित सीवानी आम तालाब को भी जीर्णोद्धार की आवश्यकता है।
बिजनौर, जेएनएन। ग्रामीण क्षेत्रों में जलस्त्रोत की मुख्य धारा कहे जाने वाले तालाब अस्तित्व खोते जा रहे हैं। जहां तालाब हैं, वहां पानी की जगह ऊंची-ऊंची झाड़िया, गंदगी व अतिक्रमण नजर आता है। यदि इन तालाबों पर ध्यान दिया जाए तो यह जल संचयन का मुख्य स्त्रोत बन सकते हैं। गांव रामौरूपपुर स्थित सीवानी आम तालाब को भी जीर्णोद्धार की आवश्यकता है। बड़े भूभाग में फैले इस तालाब में जल संचयन तो हो ही सकता है साथ ही चारों ओर हरियाली भी फैलाई जा सकती है।
विकासखंड नूरपुर से लगभग सात किलोमीटर दूर स्थित रामौरूपपुर में लगभग पांच बीघा ग्राम समाज की भूमि पर बना प्राचीन सीवानी आम नाम से मशहूर तालाब प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बन गया है। कभी यह तालाब जल संचयन का मुख्य स्त्रोत हुआ करता था, लेकिन न तो आज यहां पानी उस मात्रा में पानी नजर आता है और न ही उतना बड़ा दायरा। कहा जाए तो अवैध कब्जे और अतिक्रमण के चलते इसका दायरा सिमट कर रह गया है। तालाब में पानी की जगह ऊंची-ऊंची झाड़िया नजर आती हैं। हालांकि, गांव के पानी की निकासी काफी मात्रा में इस तालाब में होती है, लेकिन तालाब में फैली गंदगी के चलते पानी बहुत गंदा और दूषित नजर आता है। उधर, अतिक्रमण के चलते बारिश के पानी का संचय भी सही ढंग से नहीं हो पा रहा है। ऐसे में जल स्तर भी घट गया है और मवेशियों को प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। यदि लोग जागरूक हों तो यह तालाब नजीर पेश कर सकता है। जल संचयन के लिए तालाब को सहेजने की जरूरत है। कभी-कभार ही इस तालाब को साफ किया जाता है, यदि समय-समय पर तालाब पर ध्यान दिया जाए तो यहा पानी का संचयन हो सकता है।