आसमान छू रहे फल और सब्जियों के दाम

त्योहार पर सब्जी और फलों के दामों में उछाल आया है। जहां सब्जी में आलू टमाटर गोभी की कीमत आसमान छू रही है वहीं फलों में केला सेब अनार के दामों में वृद्धि हुई है। कोरोना काल में महिलाओं को रसोई के बजट को व्यवस्थित करने में परेशानी झेलनी पड़ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 10:55 PM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 10:55 PM (IST)
आसमान छू रहे फल और सब्जियों के दाम
आसमान छू रहे फल और सब्जियों के दाम

बिजनौर, जेएनएन। त्योहार पर सब्जी और फलों के दामों में उछाल आया है। जहां सब्जी में आलू, टमाटर, गोभी की कीमत आसमान छू रही है, वहीं फलों में केला, सेब, अनार के दामों में वृद्धि हुई है। कोरोना काल में महिलाओं को रसोई के बजट को व्यवस्थित करने में परेशानी झेलनी पड़ रही है।

रक्षाबंधन पर्व के बाद कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर बाजार गुलजार हुए। त्योहार के मौके पर ग्राहकों ने कान्हा की पोशाक से लेकर आकर्षक वस्त्रों की खरीदारी की है। कोरोना काल में बेपटरी हुए कारोबार में त्योहार के मौके पर कुछ स्थिरता दिखाई दी है। बाजार में ग्राहकों के पहुंचने से रौनक लौटी, लेकिन बरसात के मौसम में महंगाई ने लोगों को खूब परेशानी में डाला है। अन्य सामानों के साथ फल-सब्जी के दाम आसमान छूने लगे हैं मंडी से ठेले पर पहुंचते ही डेढ़ गुना बढ़ जाते हैं दाम

कृषि उत्पादन मंडी समिति से बाजार और ठेलों पर आते ही फल और सब्जी के दाम डेढ़ से दो गुना हो जाते हैं। नगर मुख्य बाजार में आलू 40 रुपये, टमाटर 50 रुपये, गोभी 70 रुपये, प्याज 20 रुपये प्रति किलोग्राम है। जबकि फलों में सेब 80 रुपये, केला 40 रुपये दर्जन, अमरूद 40 रुपये, आम 70 रुपये, अनार 60 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है। नगर और ग्रामीण अंचलों की गलियों में ठेलों पर फल और सब्जियों को बेचने के दौरान दाम और बढ़ जाते हैं। -महंगाई ने रसोई का बजट बिगाड़ा

नगर की आरसीपुरम कॉलोनी निवासी महिला मीनाक्षी रानी का कहना है कि कोरोना काल में महंगाई ने रसोई का बजट गड़बड़ा दिया है। त्योहार के मौके पर रसोई के बजट को संतुलित करने में परेशानी होती है। दाल, मसालों के साथ सब्जी और फल के दाम ने महंगाई को और हवा दी है। आलू, गोभी और टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं। वहीं, मोहल्ला श्यामली निवासी मीनू अग्रवाल का कहना है कि घर के साथ-साथ ब्यूटी पार्लर की शॉप चलाती हैं। इस बार महंगाई ने कमर तोड़कर रख दी है। त्योहार के मौके पर ग्राहक अपेक्षाकृत कम हैं, वहीं रसोई को कम बजट में व्यवस्थित करना आसान नहीं है।

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