आक्सीजन की कमी के आगे बेबस हुए मरीजों के स्वजन
कोरोना का संकट अभी भी बरकरार है। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से भले ही इसकी रफ्तार धीमी आंकी जा रही हो लेकिन खतरा लगातार बना हुआ है। अभी मरीज आक्सीजन के लिए तड़प रहे हैं और तीमारदार भी भटकते दिखाई दे रहे हैं। अस्पतालों में इलाज तो मिल रहा है लेकिन भरपूर आक्सीजन वहां भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ऐसे में लोग सिलेंडर पाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
जेएनएन, बिजनौर। कोरोना का संकट अभी भी बरकरार है। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से भले ही इसकी रफ्तार धीमी आंकी जा रही हो, लेकिन खतरा लगातार बना हुआ है। अभी मरीज आक्सीजन के लिए तड़प रहे हैं और तीमारदार भी भटकते दिखाई दे रहे हैं। अस्पतालों में इलाज तो मिल रहा है, लेकिन भरपूर आक्सीजन वहां भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ऐसे में लोग सिलेंडर पाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
कोरोना लगातार कहर बरपा रहा है। शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरता हो, जिस दिन जिस दिन मौत न होती हो। वहीं, आक्सीजन लिए भी लोग चक्कर काटते मिल रहे हैं। मरीज के तीमारदार या तो बाइक से या फिर गाड़ियों में सिलेंडर ले जाते दिखाई नजर आ रहे हैं। अस्पतालों में आक्सीजन की किल्लत अभी बरकरार है। यही वजह कि चिकित्सकों द्वारा अस्पतालों में आक्सीजन की कमी बता दी जाती है। जिसके बाद तीमारदार हताश और परेशान होते रहते हैं। कमोवेश हर दिन की यही स्थिति है।
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केस-1: कस्बा नूरपुर के मोहल्ला मोहम्मद नगर निवासी असगर ने बताया कि उनके पुत्र हैदर मंसूरी की बुखार से तबीयत खराब होने पर नगर एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उनका आक्सीजन स्तर काफी कम होने पर सांस लेने में दिक्कत होने लगी। तबीयत और बिगड़ने पर वह आक्सीजन के लिए इधर उधर दौड़े। काफी प्रयास के बाद आक्सीजन सिलेंडर मिलने पर बेटे की जान बचाने में कामयाब रहे। उनका कहना है कि आपदा से निबटने में शासन और प्रशासन फेल है।
केस-2: गांव पीपला जागीर निवासी शिक्षक बरम सिंह को तेज बुखार होने पर के नूरपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उपचार में उनका आक्सीजन स्तर कम आने पर परिजन सिलेंडर के लिए परेशान हाल घूमते रहे। अथक प्रयास के बाद बमुश्किल आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हो सका। जिसके बाद बरम सिंह की सेहत में सुधार हो सका। उनका कहना है कि सरकारी व्यवस्थाएं पूरी तरह फेल हो चुकी हैं।