विदुर की धरती पर लहलहाएंगी जैविक फसलें
अब विदुर की धरती पर जैविक खेती लहलहाएगी। वजह कृषि विभाग लगातार किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहा है। साथ ही किसानों को जैविक खेती करने के लिए उन्नत बीज भी उपलब्ध कराया जाएगा। जैविक पद्धति से खेती करने से न सिर्फ खेती का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा बल्कि गुणवत्ता युक्त उत्पाद खाने से आम आदमी के पोषण स्तर में भी सुधार होगा।
जेएनएन, बिजनौर। अब विदुर की धरती पर जैविक खेती लहलहाएगी। वजह, कृषि विभाग लगातार किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहा है। साथ ही किसानों को जैविक खेती करने के लिए उन्नत बीज भी उपलब्ध कराया जाएगा। जैविक पद्धति से खेती करने से न सिर्फ खेती का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, बल्कि गुणवत्ता युक्त उत्पाद खाने से आम आदमी के पोषण स्तर में भी सुधार होगा।
जनपद में नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत संचालित जैविक कृषि कार्यक्रम के तहत गंगा किनारे जैविक खेती कराने का कार्य जोरों पर चल रहा है। कृषि अधिकारी व वैज्ञानिक किसानों के यहां गोष्ठी कर उन्हें जैविक खेती करने को प्रेरित कर रहे हैं। साथ ही उन्हें उन्नत बीज उपलब्ध कराने के साथ उत्पाद बेचने को प्लेट फार्म उपलब्ध करा रहे हैं। आज स्वास्थ्य को लेकर हर कोई व्यक्ति चितित है, इसलिए जैविक उत्पादों की जमकर मांग बढ़ रही है। जैविक गन्ने से उत्पादित गुड़, दाल सब्जियों की भारी मांग होती है। इसी क्रम में कृषि विभाग जिलेभर में जैविक खेती का क्षेत्रफल बढ़ाने को प्रयासरत है। किसान गोष्ठी, किसान चौपाल आदि के माध्यम से जैविक खेती करने को प्रेरित किया जाता है। वर्तमान सीजन में कृषि विभाग द्वारा जैविक धान करने को जागरूक किया जा रहा है। बोले अधिकारी
जैविक पद्धति से खेती करने से जमीन का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। लंबे समय तक खेती अच्छा उत्पादन देती रहती है। फसल उत्पादन में लागत भी कम आती है। जैविक उत्पादित पदार्थ गुणवत्ता युक्त होते हैं। इस विधि से फसल उत्पादित होने से दाम भी अच्छे प्राप्त होते हैं।
-योगेंद्र पाल सिंह योगी, आत्मा प्रभारी।
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किसानों को जैविक खेती करने को लगातार प्रेरित किया जा रहा है। गंगा किनारे के गांवों में जैविक उत्पादन प्राप्त किए जा रहे हैं। जिले में कई जैविक प्रजातियां उपलब्ध है। जैविक खेती के लिए फसल की बुआई करने को प्रजातियों का चयन बहुत सोच समझ कर करना चाहिए। उसी प्रजाति का चयन किया जाना चाहिए, जो उच्च उत्पादकता स्तर की हो।
-डा. अवधेश मिश्रा, जिला कृषि अधिकारी