हैजरपुर भट्ट के तालाब में नहीं है पानी, पसरी है गंदगी
तालाब जल संचयन का मुख्य स्त्रोत होते हैं लेकिन गांव हैजरपुर भट्ट स्थित तालाब पूरी तरह सूख चुका है। साथ ही अतिक्रमण के चलते तालाब का दायरा भी घट चुका है। समय के साथ तालाब का अस्तित्व भी खत्म होने के कगार पर है। इसके जीर्णोद्धार और जल संचयन पर ध्यान दिया जाए तो हालात बदल सकते हैं और गांव के लिए यह तालाब बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
बिजनौर, जेएनएन। तालाब जल संचयन का मुख्य स्त्रोत होते हैं, लेकिन गांव हैजरपुर भट्ट स्थित तालाब पूरी तरह सूख चुका है। साथ ही अतिक्रमण के चलते तालाब का दायरा भी घट चुका है। समय के साथ तालाब का अस्तित्व भी खत्म होने के कगार पर है। इसके जीर्णोद्धार और जल संचयन पर ध्यान दिया जाए तो हालात बदल सकते हैं और गांव के लिए यह तालाब बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
विकास खंड नूरपुर से लगभग आठ किलोमीटर दूर स्थित गांव हैजरपुर भट्ट में दशकों पुराना तालाब है। यह कागजों में करीब चार बीघा भूमि में दर्ज है, लेकिन तालाब अतिक्रमण और गांव की गंदगी की भेंट चढ़ चुका है। आसपास रहने वाले परिवारों द्वारा तालाब किनारे पशुओं का गोबर एवं पशुशाला में जमा गंदगी को डाला जा रहा है। इससे तालाब का अस्तित्व ही खतरे में पड़ता जा रहा है। तालाब में पानी की जगह ऊंची-ऊंची झाड़ियां और गंदगी ही नजर आती हैं। कभी गांव के लिए पानी का साधन रहा यह तालाब लगभग सूख चुका है। तालाब के कुछ हिस्से में पानी है तो वह बुरी तरह दूषित हो चुका है। आसपास बसे परिवार दूषित पानी का उपयोग करने को विवश हैं। यदि समय-समय पर तालाब के सौंदर्यीकरण और हरियाली पर ध्यान दिया जाता तो तस्वीर दूसरी होती। जबकि, गत वर्षो में तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए सरकारी की ओर से विभिन्न योजनाएं भी आई, लेकिन न तो अधिकारियों और न ही जनप्रतिनिधियों ने इस पर ध्यान दिया। यही वजह है कि यह तालाब अतिक्रमण के चलते सिकुड़ गया है। अधिकारियों के साथ-साथ ग्रामीणों को भी जागरूक होने की जरूरत है। वजह, यह तालाब जल संचयन का मुख्य स्त्रोत बन सकता है, लेकिन इसके लिए जन-जन को सजग होना होगा।