मुरशद बाबा की समाधि ने दी रेलवे स्टेशन को पहचान

बिजनौर जेएनएन। आमतौर पर किसी भी रेलवे स्टेशन का नाम उसी से जुड़े गांव कस्बे अथवा शहर

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 04:44 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 04:44 AM (IST)
मुरशद बाबा की समाधि ने दी रेलवे स्टेशन को पहचान
मुरशद बाबा की समाधि ने दी रेलवे स्टेशन को पहचान

बिजनौर, जेएनएन। आमतौर पर किसी भी रेलवे स्टेशन का नाम उसी से जुड़े गांव, कस्बे अथवा शहर के नाम पर रखा जाता है, लेकिन मुरादाबाद मंडल के अंतर्गत नजीबाबाद सेक्शन के एक रेलवे स्टेशन का नाम एक बाबा की मजार के नाम पर रखा गया है। जी हां, घने जंगल में मुरशद बाबा की समाधि श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र तो है ही, इस समाधि ने रेलवे स्टेशन को नाम भी दिया है। मुरादाबाद-सहारनपुर रेल मार्ग पर नजीबाबाद और बुंदकी रेलवे स्टेशन के बीच मुरशदपुर रेलवे स्टेशन स्थित है। शिवरात्रि हो, दुर्गा पूजन हो, विजय दशमी हो या कोई और बड़े पर्व। श्रद्धालु मुरशद बाबा की समाधि के दर्शन करने आते हैं।

नांदकार-जोगीरम्पुरी संपर्क मार्ग पर गांव जटपुरा से करीब दो किलोमीटर पश्चिम दिशा की ओर मुरशद बाबा का समाधि स्थल है। नजीबाबाद-मुरादाबाद रेलवे ट्रैक के समानांतर कच्चे रास्ते से होते हुए श्रद्धालु गांगन नदी को पार कर मुरशद बाबा के समाधि स्थल पर पहुंचते हैं। चोरों ओर से घने जंगल में मुरशद बाबा के समाधि स्थल प्राकृतिक सुंदरता लिए हुए हैं। श्रद्धालुओं विनोद परमार, जीत परमार, राहुल सिंह, राजेंद्र सिंह, ऋषिपाल सिंह श्रद्धालुओं का कहना है कि अंग्रेजों ने बाबा की चमत्कारी शक्तियों से प्रभावित होकर रेलवे स्टेशन का नाम मुरशदपुर रखा, जबकि मुरशदपुर नाम से उस समय कोई गांव भी नहीं था। श्रद्धालु बताते हैं कि दशकों पहले मुरशद बाबा इसी स्थान पर पंचतत्व में विलीन हो गए। तभी से श्रद्धालु मुरशद बाबा की समाधि पर आते हैं। शिवरात्रि, दुर्गा पूजा, विजय दशमी समेत विभिन्न बड़े पर्वों पर यहां मेले का आयोजन होता है। गांव नेकपुर, मनोहरवाला, जटपुरा, मिर्जापुर, नांदकार, सिकंदरपुर बसी, भटौली, खेड़ा सहित आसपास व दूरदराज से श्रद्धालु बाबा का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं की आस्था है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुराद पूरी होती है।

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