महफिल-ए-मुशायरा : जहां तक आग पानी और हवा है, मेरी मिट्टी है और मेरा खुदा है

नजीबाबाद में बज्म-ए-जिगर की ओर से महफिल-ए-मुशायरे का आयोजन किया गया। शायरों ने देश भक्ति से जुड़े कलाम पेश कर खूब वाहवाही लूटी। अदबी के खिदमात के लिए शायर डा. तैय्यब जमाल को शाल ओढाकर सम्मानित किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 06:36 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 06:36 PM (IST)
महफिल-ए-मुशायरा : जहां तक आग पानी और हवा है, मेरी मिट्टी है और मेरा खुदा है
महफिल-ए-मुशायरा : जहां तक आग पानी और हवा है, मेरी मिट्टी है और मेरा खुदा है

बिजनौर, जागरण टीम। नजीबाबाद में बज्म-ए-जिगर की ओर से महफिल-ए-मुशायरे का आयोजन किया गया। शायरों ने देश भक्ति से जुड़े कलाम पेश कर खूब वाहवाही लूटी। अदबी के खिदमात के लिए शायर डा. तैय्यब जमाल को शाल ओढाकर सम्मानित किया गया।

महफिल ए मुशायरे के मुख्य अतिथि अबरार सलमानी ने कहा कि ऐसे आयोजन नजीबाबाद की गंगा जमनी तहजीब को जिन्दा रखने के साथ नगर के मोहल्ला रम्मपुरा में रईस भारती की अध्यक्षता और अकरम जलालाबादी की नात-ए-पाक से महफिल का आगाज हुआ। नौशाद अहमद शाद ने कहा कि बात करने वाले का ढंग निराला है, आप जरदार हो गए शायद। शायर शादाब जफर शादाब ने कहा कि दाद शेरों पे खुलकर दिया कीजिए, अपने दिल को जरा सा बड़ा कीजिए। काजी विकाउल हक ने कहा कि दामन को वो जो मुझ से छुड़ा कर चले गए, दिल पर हजार जख्म लगा कर चले गए। डा. तैय्यब जमाल ने कहा कि तुम आए तो जश्न-ए-अलम हो गया है, मेरा दर्द थोड़ा सा कम हो गया है। सुहेल शम्सी ने कहा कि दुनिया में गर है जीना थोड़ा सा हौसला कर, खुशियों से राय ले ले गम से मशवरा कर। शकील अहमद वफा ने कहा कि ये मेरी जमी मेरा गगन मेरा वतन है, धरती पे मेरे खूब हिमालय की फबन है। मौसूफ वासिफ ने कहा कि जहां तक आग पानी और हवा है, मेरी मिट्टी है और मेरा खुदा है। अकरम जलालाबादी ने कहा कि सर पे मजलूम के कफन क्यों है, जुल्म हद से गुजर गया शायद। सुहेल शम्मी के संचालन में आयोजित मुशायरे में शाकिर, महताब, जुबैर खान, मोनू भाई, अफशान सलमानी, एमडी खान आदि मौजूद रहे।

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