संघर्षाें से जूझ कर पत्नी व बच्चों को किया शिक्षित
जीवन की हर चुनौतियों से जूझते हुए एक पिता अपने बच्चों और परिवार के लिए दीवार की तरह अड़ग खड़ा रहता है। जीवन के थपेड़ों को सहकर वह अपने परिवार को सुरक्षित रखता है हर दुख से स्वयं जूझते हुए बच्चों को सिर पर सुखों की छाया बनाए रखता है।
बिजनौर, जेएनएन। जीवन की हर चुनौतियों से जूझते हुए एक पिता अपने बच्चों और परिवार के लिए दीवार की तरह अड़ग खड़ा रहता है। जीवन के थपेड़ों को सहकर वह अपने परिवार को सुरक्षित रखता है, हर दुख से स्वयं जूझते हुए बच्चों को सिर पर सुखों की छाया बनाए रखता है। कुछ ऐसे भी पिता हैं जो जीवन में अपना सपना पूरा नहीं कर सके लेकिन उन्होंने शिक्षा को हथियार बना कर अपने बच्चों को सफलता की राह पर अग्रसर किया।
धामपुर की नई सराय कालोनी निवासी विसाल अहमद(60) इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझ कर न केवल पांचवीं पास अपनी पत्नी को पढ़ा लिखाकर शिक्षिका बनाया बल्कि अपने तीन बेटो को शिक्षा के मार्ग पर अग्रसर किया। परचून की छोटी सी दुकान चलाने वाले विसाल अहमद बताते हैं कि उनके पिता भी शिक्षक थे, उन्हें देखकर वे भी जीवन में शिक्षक बनना चाहते थे। लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों के चलते उनका सपना अधूरा रह गया। उनका निकाह पांचवीं पास सितारा बानो से हुआ। लेकिन निकाह के बाद उन्होंने अपने सपने के बारे में पत्नी को बताया और संकल्प लिया कि उन्हें शिक्षिका बनाएंगे। विसाल अहमद ने बताया कि उन्होंने परचून की दुकान चलाते हुए आर्थिक व सामाजिक चुनौतियों से जूझते हुए कभी हार नहीं मानी। तीन बेटों को कभी दुकान पर बैठने नहीं दिया बल्कि उन्हें शिक्षित होने के लिए सैदव प्रेरित किया।
पत्नी व बेटों को कामयाब बनाया :
विसाल अहमद ने पत्नी और बेटों की शिक्षा में कभी कमी नहीं आने दी, इसका नतीजा है कि पत्नी को इंटर के बाद बीटीसी कराया और आज वे शिक्षिका हैं। बेटों को भी कभी दुकान के छोटे-मोटे कामों में न लगाकर हमेशा पढ़ाई करवाई। इसी का नतीजा है कि विसाल अहमद का बड़ा बेटा इकबाल अहमद आज इलाहाबाद बैंक में सीनियर मैनजर, छोटा बेटा दंत चिकित्सक बने। सबसे छोटा बेटा भी बीएससी में पढ़ रहा है।