मोबाइल टार्च और बाइक की लाइट से श्मशानघाट पर उजाला

किसी व्यक्ति की जीवन यात्रा का इससे दुखद अंत और क्या होगा कि अंत्येष्टि स्थल पर अंधेरा पसरा हो और दाह संस्कार में शामिल हुए लोगों को अपने मोबाइल फोन की टार्च जलाकर पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन करने पड़ते हों। वहीं बाइक की हेडलाइट जलाकर श्मशानघाट पर उजाला करना पड़ता हो।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 01:19 AM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 01:19 AM (IST)
मोबाइल टार्च और बाइक की लाइट से श्मशानघाट पर उजाला
मोबाइल टार्च और बाइक की लाइट से श्मशानघाट पर उजाला

बिजनौर, जेएनएन। किसी व्यक्ति की जीवन यात्रा का इससे दुखद अंत और क्या होगा कि अंत्येष्टि स्थल पर अंधेरा पसरा हो और दाह संस्कार में शामिल हुए लोगों को अपने मोबाइल फोन की टार्च जलाकर पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन करने पड़ते हों। वहीं, बाइक की हेडलाइट जलाकर श्मशानघाट पर उजाला करना पड़ता हो।

तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार में नजीबाबाद में मालिनी श्मशानघाट का लाखों रुपये के बजट से जीर्णोद्धार हुआ था। उस समय श्मशानघाट परिसर में इंटरलाकिग सड़क, लोगों के बैठने के लिए बेंच, चाहरदीवारी की मरम्मत, सोलर ऊर्जा पर आधारित स्ट्रीट लाइट आदि विकास कार्य कराए गए थे। इन विकास कार्यों में इस समय पथप्रकाश व्यवस्था और श्मशानघाट परिसर में प्रकाश व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। दिन ढलते ही श्मशानघाट परिसर अंधेरे में डूब जाता है।

रविवार शाम भी ऐसा ही हुआ था। अजय जैन का देहरादून में उपचार के दौरान निधन हो गया था। शव नजीबाबाद लाया गया, तब तक शाम हो चुकी थी और शवयात्रा श्मशानघाट तक पहुंचते-पहुंचते अंधेरा छा चुका था। श्मशानघाट पर उजाले के लिए शवयात्रा में आए लोगों को बाइकों की हेडलाइटें जलाकर उजाला करना पड़ा। शव के अंतिम दर्शन करने के लिए लोगों को अपने मोबाइल फोन की टार्च जलानी पड़ी। परिसर में औपचारिक रूप से एकमात्र छोटा बल्ब ही लगा था। श्मशानघाट पर इस तरह के हालात देखकर स्थानीय नागरिकों को काफी ठेस पहुंची। जैन समाज के लोगों संजय जैन, अंकित जैन, निरपाल जुनेजा, धर्मवीर चौहान, कुलदीप कुमार, विपुल शर्मा, शहजाद नोमानी, अनिल सक्सेना, ग्राम प्रधान धूम सिंह, भगवान दास आदि नागरिकों ने प्रशासन से श्मशानघाट पर प्रकाश व्यवस्था में सुधार कराने की मांग की।

-इनका कहना है

शमशान घाट पर सभी व्यवस्थाएं श्री मालिनी शमशान घाट समिति की ओर से की जाती हैं। इसमें पालिका अथवा स्थानीय प्रशासन का सहयोग मिले तो व्यवस्थाओं को और भी बेहतर किया जा सकता है।

डा. एसके जौहर, व्यवस्थापक समिति वास्तव में यह लचर व्यवस्था है। इसमें सुधार के लिए नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी को आवश्यक निर्देश दिए जाएंगे।

-मनोज कुमार सिंह, एसडीएम नजीबाबाद

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