स्वच्छता और जल संचयन की मिसाल बन सकता है खदाना तालाब
गांव देहात में अस्तित्व खोते तालाबों को संजीवनी की आवश्यकता है। यदि गांव रामौरूपुर स्थित खदाना तालाब का सुंदरीकरण और विस्तार किया जाए तो वह मिसाल बन सकता है। अच्छी बात यह है कि यहां जल संचयन पहले ही होता है लेकिन स्वच्छता की बात की जाए तो उसकी कमी यहां नजर आती है। जिस पर ग्रामीणों के अलावा अधिकारियों को ध्यान देने की आवश्यकता है।
जेएनएन, बिजनौर। गांव देहात में अस्तित्व खोते तालाबों को संजीवनी की आवश्यकता है। यदि गांव रामौरूपुर स्थित खदाना तालाब का सुंदरीकरण और विस्तार किया जाए तो वह मिसाल बन सकता है। अच्छी बात यह है कि यहां जल संचयन पहले ही होता है, लेकिन स्वच्छता की बात की जाए तो उसकी कमी यहां नजर आती है। जिस पर ग्रामीणों के अलावा अधिकारियों को ध्यान देने की आवश्यकता है।
ब्लाक नूरपुर के गांव रामौरूपुर में करीब पांच बीघा के दायरे में खदाना तालाब स्थित है। हालांकि, वर्तमान में कहीं न कहीं तालाब का दायरा जरूरी घटा है। इसकी वजह, अतिक्रमण होना रही है। अच्छी बात यह है कि तालाब में पूरे वर्ष पानी भरा रहता है। इससे जल संचयन के साथ-साथ यहां का भू-जलस्तर सही रहता है। गांव के पानी की निकासी तालाब में रहने से यहां का पानी नहीं सूखता है। कहा जाए तो पूरे साल तालाब जल से लबालब रहता है।
ग्रामीणों का कहना है कि तालाब में पानी भरे रहने से भीषण गर्मी में पशुओं को काफी राहत मिलती है। यहां आकर पशु प्यास बुझाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत और ग्रामीण हमेशा तालाब को साफ-सुथरा एवं स्वच्छ रखने के लिए विशेष अभियान चलाकर तालाब की साफ-सफाई करते रहते हैं। लेकिन, पिछले कुछ समय से तालाब की सफाई नहीं हुई है। बरसात में तालाब में अधिक पानी भरने से खेतों में पानी पहुंच जाता है, जिससे किसानों को काफी फायदा मिलता है। जल सहेजने की बात की जाए तो यह तालाब मिसाल से कम नहीं है, लेकिन, तालाब की साफ-सफाई समय पर होती रहे और हरियाली के लिए चारों ओर पौधे लगाए जाएं तो तालाब अलग ही नजर आएगा। कहा जाए तो जल संचयन के साथ-साथ हरियाली से गांव का माहौल भी बदल जाएगा।