कवि सम्मेलन : जो रूठा हुआ था वो घर आ गया है..

जेएनएन बिजनौर। नजीबाबाद स्थित सरस्वती पुस्तकालय के स्थापना दिवस पर कवि सम्मेलन आयोजित हुआ। इस मौके पर पुस्तकालय के वरिष्ठ सदस्यों को सम्मानित भी किया गया। मंगलवार रात हुए समारोह के मुख्य अतिथि सूर्यमणि रघुवंशी एवं विशिष्ट अतिथि समाजसेवी राकेश जाखेटिया की उपस्थिति में मंजू जौहरी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 06:32 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 06:32 PM (IST)
कवि सम्मेलन : जो रूठा हुआ था वो घर आ गया है..
कवि सम्मेलन : जो रूठा हुआ था वो घर आ गया है..

जेएनएन, बिजनौर। नजीबाबाद स्थित सरस्वती पुस्तकालय के स्थापना दिवस पर कवि सम्मेलन आयोजित हुआ। इस मौके पर पुस्तकालय के वरिष्ठ सदस्यों को सम्मानित भी किया गया। मंगलवार रात हुए समारोह के मुख्य अतिथि सूर्यमणि रघुवंशी एवं विशिष्ट अतिथि समाजसेवी राकेश जाखेटिया की उपस्थिति में मंजू जौहरी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया।

कार्यक्रम में पुस्तकालय के छह वरिष्ठ सदस्यों शिवकुमार अरोड़ा, रामनाथ राजपूत, कमल मेहरा, विजयपाल चौहान, दिनेश वर्मा और सतीशचंद्र अग्रवाल को शाल ओढ़ाकर और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। सूर्यमणि रघुवंशी ने कहा कि जहां पुस्तकालय होते हैं, वहां निश्चित ही शिक्षा और ज्ञान का स्तर ऊंचा होता है। राकेश जाखेटिया ने सौ वर्ष पुरानी धरोहर को संजोने का युवाओं से आह्वान किया।

कवि सम्मेलन में जितेंद्र जैन ने 'हर चमन को गुलजार बनाने की बात करता हूं, यदि जागना चाहो तो जगाने की बात करता हूं' और राजेश मिश्रा राजू ने 'सम्मान पाने में कभी सम्मान मत खोना, दुनिया में अपना स्वाभिमान भी जरूरी है' रचना प्रस्तुत की। निशा अग्रवाल ने 'ज्ञान का सच्चा नूर मगर खामोश किताबें, अल्फाजों से भरपूर मगर खामोश किताबें' और अजय जैन ने 'मेरे लिए कुछ लोग हो जाते हैं देश के गद्दार, क्योंकि मैं हूं भ्रष्टाचार मैं हूं भ्रष्टाचार' रचना प्रस्तुत कर भाव-विभोर किया। अजय जौहरी ने 'सदाओं में इतना असर आ गया है, जो रूठा हुआ था वो घर आ गया है' और हुड़दंग नगीनवी ने 'मंत्री जी का नारा है शासन हमारा है, अनुशासन तुम्हारा है' रचना सुनाया। मंजू जौहरी ने 'कोई ऐसा भी दौर ले आओ, मिलके बैठेंगे सब दालानों में' और रमेश राजहंस ने 'कार्ड लिफाफे अंतरदेसी सांसें खींच रहे हैं, कभी-कभी गुस्से में तनकर मुट्ठी भींच रहे हैं', प्रमोद शर्मा ने 'जमाने से जरा सी हवा तक नहीं लगी, अलमारी में किताबों का दम घुट रहा है' रचना पेश की। कवि सम्मेलन में अनिल शर्मा अनिल, राजकुमार वर्मा राजन, प्रदीप डेजी ने भी रचना प्रस्तुत की। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता पुस्तकालय के अध्यक्ष उमापति गर्ग और संचालन संयोजक प्रदीप डेजी ने किया।

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