बेटियों को आत्मनिर्भर बना रहीं कमलेश

नारी शक्ति रूपा है नारी धैर्यवान है। नारी जगत जननी भी है। जी हां नारी को वास्तव में इन्हीं रूपों में जाना जाता है। आर्य सुगंध संस्थान की संचालिका कमलेश आर्य नारी के इन्हीं स्वरूपों को साकार करती हैं। आश्रम की बालिकाओं को सिलाई कढ़ाई बुनाई और वेस्ट मेटेरियल से उपयोगी समान बनाना सिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 10:25 AM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 10:25 AM (IST)
बेटियों को आत्मनिर्भर बना रहीं कमलेश
बेटियों को आत्मनिर्भर बना रहीं कमलेश

जेएनएन, बिजनौर। नारी शक्ति रूपा है, नारी धैर्यवान है। नारी जगत जननी भी है। जी हां, नारी को वास्तव में इन्हीं रूपों में जाना जाता है। आर्य सुगंध संस्थान की संचालिका कमलेश आर्य नारी के इन्हीं स्वरूपों को साकार करती हैं। आश्रम की बालिकाओं को सिलाई, कढ़ाई बुनाई और वेस्ट मेटेरियल से उपयोगी समान बनाना सिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रही हैं।

छोटी उम्र से ही आर्य समाज की शिक्षा-दीक्षा लेने वाली कमलेश आर्य ने एमए हिदी साहित्य की डिग्री रुड़की और प्रयागराज से प्राप्त की। चार वेदों की जानकारी रखने वाली कमलेश आर्य कहती हैं कि वर्ष 1973 में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय पहुंची थीं। आयरन लेडी के रूप में पहचान रखने वाली इंदिरा गांधी से मिलकर नारी समाज के लिए बहुत कुछ करने का जज्बा मन में जागा था। कमलेश कहती हैं कि मजबूर, लाचार, वृद्ध महिलाओं और बेसहारा बच्चों की मदद करना ही उनका एक मात्र उद्देश्य है।

इसके साथ ही कमलेश क्षेत्र की बेटियों को आत्मनिर्भर बना रही हैं। इसके लिए वह आश्रम में ही बेटियों को सिलाई, कढ़ाई, बुनाई और वेस्ट मेटेरियल से सजावट के सामान बनाने का प्रशिक्षण देती हैं। इसके लिए उन्होंने एक प्रशिक्षक भी रखा है। इस काम को सीख लेने के बाद आश्रम में रह रही बेटियां आकर्षक उत्पाद तैयार करती हैं, जिन्हें विभिन्न मौकों पर प्रदर्शनी में शामिल किया जाता है। उत्पादों की बिक्री होने से जो राजस्व प्राप्त होता है, उससे संस्था और संस्था में रहने वाली बेटियां आर्थिक रूप से मजबूत होती हैं। कमलेश आर्य कहती हैं कि कई गुणवान बेटियां प्रदर्शनी में पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकी हैं।

chat bot
आपका साथी