मंडियों में कम हुई गुड़ की डिमांड, दाम गिरे

थोक और फुटकर दुकानों पर नए गुड़ की डिमांड कम होने की वजह नए गुड़ के दामों में कमी आई है। आढ़तियों की मानें तो एक सप्ताह में गुड़ की दरों में

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 11:24 AM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 11:24 AM (IST)
मंडियों में कम हुई गुड़ की डिमांड, दाम गिरे
मंडियों में कम हुई गुड़ की डिमांड, दाम गिरे

बिजनौर, जेएनएन। थोक और फुटकर दुकानों पर नए गुड़ की डिमांड कम होने की वजह नए गुड़ के दामों में कमी आई है। आढ़तियों की मानें तो एक सप्ताह में गुड़ की दरों में 800 रुपये प्रति कुंतल की कमी आई है। वहीं, गुड़ की डिमांड कम होने से मायूस कोल्हू संचालकों ने 240 रुपये प्रति कुंतल की दर से गन्ना खरीदना शुरू कर दिया है। मजबूरी में किसान इन कोल्हुओं पर अपना गन्ना औने-पौने दामों में बेचने पर मजबूर हैं।

हल्दौर ब्लाक के ग्राम पैजनिया, खासपुरा, शरीफपुर, जलाउदीपुर, छजूपूरा, कडापुर, खजूरी, सोतखेड़ी समेत कई अन्य गांवों में पावर कोल्हू लगे हैं। इन कोल्हुओं में तैयार गुड़ जनपद और उसके आसपास के जिलों की मंडियों में डिमांड के अनुरूप बेचा जाता है। गन्ना सीजन की शुरुआत में थोक और फुटकर मंडियों में नए गुड़ की डिमांड अधिक थी और गुड़ भी 3900 रुपये प्रति कुंतल की दर से बिक रहा था।

अचानक बड़ी गुड़ मंडियों में नए गुड़ की डिमांड में कम हो गई। व्यापारियों के पास गुड़ का भंडारण शुरू हो गया और कारोबारियों को गुड़ की खरीद-फरोख्त में कम होने की चिता होने लगी। चांदपुर गुड मंडी के थोक व्यापारी जितेंद्र कुमार का कहना है कि मंडियों में गुड़ की डिमांड कम हुई है। इस कारण पिछले एक सप्ताह में गुड़ के दाम 700 से 800 रुपये प्रति कुंतल कम हुए हैं।

उधर, चीनी मिलों द्वारा गन्ने का बकाया भुगतान नहीं किए जाने की वजह से किसान आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। अभी चीनी मिलों में पेराई सत्र शुरू नहीं होने की वजह से किसान अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपना गन्ना औने-पौने दामों में बेच रहे हैं। सीजन की शुरूआत में कोल्हुओं पर गन्ने की खरीदारी 280 से रुपये से लेकर 290 रुपये तक की गई थी, किंतु अब 240 रुपये प्रति कुंतल की दर से गन्ना खरीदा जा रहा है। गांव पैजनिया निवासी कोल्हू संचालक विजय सैनी का कहना है कि मंडी में गुड़ के दामों में गिरावट आने के साथ-साथ गन्ने में रिकवरी भी कम है और नया गुड तैयार करने में लागत अधिक आ रही है।

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