आरटीपीसीआर जांच के बिना अस्पताल के बाहर तड़प रहे मरीज

कोरोना ने जिले भर में कहर बरपा रखा है। इसके बावजूद सरकारी एवं निजी अस्पतालों में चिकित्सक मरीज से आरटीपीसीआर जांच की रिपोर्ट मांग रहे हैं। ऐसे में मरीज को सही समय पर उपचार नहीं मिल पाने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 10:44 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 10:44 PM (IST)
आरटीपीसीआर जांच के बिना अस्पताल के बाहर तड़प रहे मरीज
आरटीपीसीआर जांच के बिना अस्पताल के बाहर तड़प रहे मरीज

बिजनौर, जेएनएन। कोरोना ने जिले भर में कहर बरपा रखा है। इसके बावजूद सरकारी एवं निजी अस्पतालों में चिकित्सक मरीज से आरटीपीसीआर जांच की रिपोर्ट मांग रहे हैं। ऐसे में मरीज को सही समय पर उपचार नहीं मिल पाने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं मरीज को उपचार नहीं मिलने से उसके परिजनों को भी मानसिक तनाव झेलना पड़ रहा है।

लगातार कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। वर्तमान में साढ़े तीन हजार से अधिक लोगों को जांच रिपोर्ट का इंतजार है। यही कारण है कि जांच रिपोर्ट मिलने में तीन से चार दिन का समय लग रहा है। इस दौरान यदि कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो जाता है तो सरकारी अथवा निजी अस्पताल में उसे भर्ती नहीं किया जाता। वरन परिजनों से मरीज की आरटीपीसीआर रिपोर्ट लाने को कहा जाता है। रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही उसे भर्ती किया जाता है। यह बात दूसरी है कि रिपोर्ट आने में तीन से चार दिन पर मरीज और गंभीर हो जाता है।

एल-2 अस्पताल के लिए भी रिपोर्ट जरुरी

भले ही रोगी में कोरोना संक्रमण के सभी लक्षण दिखाई दे रहे हो। लेकिन उसे एल-2 अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाता। एल-2 अस्पताल में भर्ती के लिए भी रोगी को आरटीपीसीआर पाजिटिव की रिपोर्ट लाना आवश्यक है। जब तक रोगी की रिपोर्ट पाजिटिव नहीं आती तब तक उसे भर्ती नहीं किया जाता।

बाजार से गायब होने लगी आवश्यक दवाएं

कोरोना के बढ़ते कहर के बीच आक्सीमीटर, थर्मल स्कैनर, थर्मामीटर, पैरासिटामोल, आइवर मैक्टिन, आजीथ्रोमाईसीन, जिक, कैलसिरोल सैचेट, विटामिन सी की मांग बढ़ गई है। मांग बढ़ने से दवा विक्रेताओं के यहां इन सब की कमी दिख रही है।

रोगी हेल्प लाइन नंबरों से ले रहे सलाह

जिले में पहले ही सरकारी अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों के फोन नम्बर जारी किए जा चुके हैं। प्राय: चिकित्सक रोगियों को सलाह भी दे रहे है। अभी तक ऐसा कोई मामला प्रकाश में नहीं आया है, किसी चिकित्सक ने फोन रिसीव नहीं किया हो। सीएमएस डा. ज्ञान चंद बताते है कि शासन के निर्देश पर ओपीडी बंद कर दी गई है। अलबत्ता इमरजेंसी सेवाएं चालू है। किसी भी मरीज को कोई परेशानी न हो इसके लिए सर्जन, ओर्थोसर्जन, नेत्र सर्जन, हड्डी रोग विशेषज्ञ, इमरजेंसी मेडिकल आफिसर आदि के फोन नंबर पूर्व में जारी किए जा चुके हैं। इसके अलावा गंभीर रोगियों को भर्ती भी किया जा रहा है। यदि कोई चिकित्सक किसी रोगी को फोन पर सलाह देने में हिचकिचाहट करता है अथवा फोन रिसीव नहीं करता है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

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