हमारी भावनाओं और अनुभूति का साज है हिदी भाषा

नजीबाबाद में साहित्यिक संस्था मेरी कलम के तत्वाधान में वेबिनार के माध्यम से काव्य गोष्ठी आयोजित हुई। इसमें रचनाकारों ने काव्य पाठ से मंत्रमुग्ध कर दिया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 07:40 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 07:40 PM (IST)
हमारी भावनाओं और अनुभूति का साज है हिदी भाषा
हमारी भावनाओं और अनुभूति का साज है हिदी भाषा

जेएनएन, बिजनौर। नजीबाबाद में साहित्यिक संस्था मेरी कलम के तत्वाधान में वेबिनार के माध्यम से काव्य गोष्ठी आयोजित हुई। इसमें रचनाकारों ने काव्य पाठ से मंत्रमुग्ध कर दिया।

साहित्यिक संस्था मेरी कलम की ओर से मधु प्रसाद की अध्यक्षता में मुख्य अतिथि ममता खरे ने दीप प्रज्ज्वलन कर काव्य गोष्ठी का शुभारंभ किया गया। संस्था की अध्यक्ष डा. मंजु जौहरी मधुर ने शुभारंभ किया। मधु प्रसाद ने कि कहा- तेरा मेरा करते करते संध्या आई..। ममता खरे ने कहा कि थाम राहें जिदगी चलना सिखाती है, दर्द देती तो कभी मरहम लगाती है। डा. मंजु जौहरी मधुर कहा कि हम चल रहे हैं साथ में उजालों के वास्ते, लाओ कहीं से आग तुम मशालों के वास्ते। प्रतिभा पुरोहित कहा कि तुम तोड़ो अपनी सीमाएं मैं बैठी इस पार अभी.। हरिनाथ शुक्ला हरि ने सुनाया कि गिरे धरती पे, मां को मां कहा औ चांद को मामा..। सुमन वर्मा ने सुनाया कि खिल गए गुल यूं चमन के लिए, मंदिरों में झुके सिर नमन के लिए। कविता नामदेव कहा कि हमारी भावनाओं एहसासों का साज है हिदी, चेतना से भावों को जगाती आत्मा की आवाज है हिदी। कृष्ण कुमार पाठक कहा कि नर जीवन में धर्म का है इतना सा सार, पीर न दे पर पीर में कर सेवा उपकार। ऊषा श्रीवास्तव कहा कि दशरथ के आंगन जन्म हुआ है रामलला मुस्काए रहे हैं, नारायण धरती पे हैं आए लीला पे लीला दिखाए रहे हैं। राजकुमार राज कहा कि लिख लो हिदी पढ़ लो हिदी बोलो हिदी प्यारी है, हिदी भाषा नहीं है केवल ये पहचान हमारी है। कार्यक्रम के अंत में मंजू जौहरी मधुर ने सभी रचनाकारों का आभार व्यक्त किया।

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