योगी जी, जरा एक नजर इधर भी..

योगी आदित्यनाथ जी विदुर की धरती बिजनौर पर आपका स्वागत है। शहर की सड़कों की चमक-दमक सरकारी भवनों की साफ-सफाई से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनपद में वीवीआईपी आगमन की तैयारी है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 11:48 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 11:48 PM (IST)
योगी जी, जरा एक नजर इधर भी..
योगी जी, जरा एक नजर इधर भी..

जेएनएन, बिजनौर। योगी आदित्यनाथ जी, विदुर की धरती बिजनौर पर आपका स्वागत है। शहर की सड़कों की चमक-दमक, सरकारी भवनों की साफ-सफाई से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनपद में वीवीआईपी आगमन की तैयारी है। योगी जी, वैसे तो आप वही देखेंगे, जो आपके मातहत अधिकारी आपको दिखाएंगे, लेकिन कुछ समस्याएं दूसरी भी हैं और लंबे समय से चली आ रही हैं। आपके साढ़े चार साल में यूं तो बहुत से विकास कार्य हुए हैं, लेकिन कुछ कार्य अभी होने बाकी हैं। जनपद को बाढ़ के दंश से छुटकारा नहीं मिल पाया है। नहटौर का हथकरघा और नगीना का काष्ठकला उद्योग बंदी के कगार पर हैं। विदुरकुटी के पुनरुद्धार के लिए भी लोग आपकी ओर टकटकी लगाए हुए हैं।

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बेपटरी है नहटौर का पावरलूम उद्योग

नहटौर क्षेत्र का पावरलूम व हैंडलूम उद्योग देश के कई राज्यों ही नहीं विदेशों में भी पहचान रखता है। यहां के फैब्रिक और कपड़ों की मांग दूर-दूर तक है। पिछले पांच दशकों में स्थानीय स्तर पर यह कारोबार खूब फला-फूला, लेकिन अब बदलती परिस्थितियों और दो साल से कोरोना की मार झेल रहे इस उद्योग की कमर टूट गई है। कारोबारियों को आज भी सरकार से बड़ी सहायता की उम्मीद है। बिजनौर आ रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कारोबारी आस लगाए बैठे हैं। कारोबारी नदीम अहमद, आफाक सिद्दीकी का कहना है कि कुछ साल पहले तक 30 हजार से अधिक कर्मचारी यहां रोजगार पाते थे और पांच हजार से अधिक यूनिटें थीं, लेकिन पहले नोटबंदी, जीएसटी और अब दो साल से कोरोना ने बुरी तरह उद्योग को प्रभावित किया है। ब्रश उद्योग को राहत की उम्मीद

शेरकोट में ब्रश उद्योग का अस्तित्व आजादी के समय से माना जाता है। कारोबारियों की मानें तो आजादी के समय से यहां ब्रश बनाने का काम शुरू हो गया था। बड़ी संख्या में यह कारीगरों और मजदूरों की आजीविका साधन रहा है, लेकिन पिछले कुछ सालों से उद्योग को किसी की नजर लग गई है। कोराबारियों को सरकार से जो आस थी, वह अभी तक पूरी नहीं हुई है। ब्रश कारोबारी सुरेश जैन, सुल्तान अंसारी और भूरा रईस आदि का कहना है कि उद्योग अपने अस्तित्व को बचाने के लिए छटपटा रहा है। पहले नोटबंदी और जीएसटी ने इस पर प्रतिकूल प्रभाव डाला और अब कोरोना ने बुरी तरह प्रभावित किया है। दम तोड़ रहा काष्ठकला उद्योग

देश-विदेश में नगीना का काष्ठ कला उद्योग कच्चे माल के लिए जूझ रहा है। यहां लकड़ी के डिपो की मांग काफी समय से हो रही है। जीएसटी लागू होने से इन कारोबारियों पर 12 प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स का बोझ बढ़ गया है। अत्याधुनिक मशीनों की अनुपलब्धता दूसरी बड़ी वजह है। मशीन का जुगाड़ हो भी जाए तो इसके पुर्जो के लिए दिल्ली व अमृतसर तक दौड़ लगानी पड़ती है। कारीगरों के लिए सामाजिक सुरक्षा जैसे बीमा व चिकित्सा सुविधा तक नहीं है। निर्यात केन्द्र न होने से भी छोटे कारोबारियों के उत्पादन विश्व बाजार में चमक नहीं बिखेर पाते।

पर्यटक स्थल बने विदुरकुटी

महात्मा विदुर की तपोस्थली विदुरकुटी का इतिहास पांच हजार साल पुराना है। किवदंती है कि कुरु राज के महामंत्री महात्मा विदुर युद्ध से आहत होकर गंगा के पूर्वी छोर पर कुटिया बनाकर रहने लगे थे। उसी दौर में भगवान श्रीकृष्ण ने दुर्योधन की मेवा त्यागकर महात्मा विदुर की कुटिया में भोजन किया था। विदुरकुटी को महाभारत सर्किट में शामिल तो किया गया, कितु चहुंमुखी विकास नहीं हो पाया। डीएम उमेश मिश्रा की पहल पर पिछले तीन माह में वानप्रस्थ, वृद्धावस्था आश्रम और आयुर्वेद अस्पताल का जीर्णोंद्धार तो किया, कितु कुटी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हो पाई है।

हर साल बाढ़ से जूझते हैं 51 गांव

पिछले दो दशक से बरसात के मौसम में गंगा नदी में आने वाली बाढ़ का दंश खादर के 51 गांव झेल रहे हैं। इन गांवों के हजारों ग्रामीण साल-दर-साल प्रशासनिक अफसरों और जनप्रतिनिधियों से बाढ़ से निजात दिलाने के साथ-साथ कटान पर रोक लगाए जाने के लिए स्थाई तटबंध बनाए जाने की मांग करते आ रहे है, कितु अभी तक इस समस्या का स्थाई समाधान नहीं किया गया। दो साल पहले कटान और बाढ़ से निजात दिलाने के लिए 61 करोड़ की योजना मंजूरी हो गई, कितु अभी तक बजट अवमुक्त नहीं हुआ। खादर क्षेत्र के ग्रामीण मुख्यमंत्री की ओर टकटकी लगाए हुए हैं।

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