आक्सीजन सिलेंडर लेने को लाइनों में लग रहे तीमारदार

आक्सीजन के लिए अभी भी तीमारदारों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। हालांकि कुछ दिन पहले की तुलना में अब आक्सीजन डिपो पर सिलेंडरों की सप्लाई पहले से थोड़ी बढ़ गई है। इसके चलते लोगों को कुछ राहत मिली है। लेकिन अभी भी लोगों को लाइन में लगना पड़ रहा है। गैस लेने को सुबह को जाने के बाद शाम तक ही नंबर आता है। हालांकि अभी भी मरीजों की संख्या की तुलना में पर्याप्त सिलेंडर नहीं मिल पा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 06:47 AM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 06:47 AM (IST)
आक्सीजन सिलेंडर लेने को लाइनों में लग रहे तीमारदार
आक्सीजन सिलेंडर लेने को लाइनों में लग रहे तीमारदार

जेएनएन, बिजनौर। आक्सीजन के लिए अभी भी तीमारदारों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। हालांकि कुछ दिन पहले की तुलना में अब आक्सीजन डिपो पर सिलेंडरों की सप्लाई पहले से थोड़ी बढ़ गई है। इसके चलते लोगों को कुछ राहत मिली है। लेकिन अभी भी लोगों को लाइन में लगना पड़ रहा है। गैस लेने को सुबह को जाने के बाद शाम तक ही नंबर आता है। हालांकि अभी भी मरीजों की संख्या की तुलना में पर्याप्त सिलेंडर नहीं मिल पा रहे हैं।

क्षेत्र में पिछले काफी समय से आक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई लोगों के लिए समस्या बनी हुई है। कुछ दिन पहले तक आक्सीजन की सप्लाई बिल्कुल सुचारू रूप से नहीं थी, जिस कारण तीमारदारों को पूरे-पूरे दिन इधर-उधर भटकना पड़ रहा था। धामपुर में स्थित गैस डिपो पर अब नियमित रूप से सप्लाई हो रही है। इससे लोगों को कुछ राहत मिली है। लेकिन अभी भी सुबह से लाइन में लगना पड़ रहा है। जब जाकर कहीं शाम तक नंबर आता है। केस-1 :

कस्बे में आक्सीजन के लिए तीमारदार अभी भी भटक रहे हैं। आज भी लोग अपने मरीजों की जान बचाने को कहीं न कहीं से गैस का इंतजाम कर रहे हैं। धामपुर निवासी नागेंद्र सिंह ने बताया की सिलेंडर लेने के लिए सुबह से ही डिपो पर जाना पड़ता है। लेकिन अब थोड़ी राहत मिली है कि शाम तक नंबर आ जाता है। पहले तो लाइन में लगने के बाद भी पता नहीं नंबर आएगा या नहीं। खाली भी लौटना पड़ जाता था।

केस - 2:

क्षेत्र के गांव मक्खनपुर निवासी राजीव सिंह ने बताया कि उनके एक रिश्तेदार बीमार चल रहे हैं, जिन्हें लगातार आक्सीजन की आवश्कता पड़ रही है। घर पर ही एक दिन में दो सिलेंडरों की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सिलेंडर के लिए भटकना पड़ता है। किसी तरह एक सिलेंडर तो आसानी से मिल जाता है, लेकिन दूसरे सिलेंडर के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। जबकि वह इस समस्या से कई बार स्थानीय अफसरों को भी अवगत करा चुके हैं।

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