दशहरा पर मिला जिदगीभर नहीं भूलने वाला गम
घर पर दशहरे की तैयारी चल रही थी। चारों दोस्त दशहरे की छुट्टी पर घर आए हुए थे। इन अनहोनी ने परिवार को जीवनभर नहीं भूलने वाला गम दे दिया है। यह त्योहार तीन गांवों में मातम लेकर आया है। चारों युवक मध्यम वर्ग परिवार से थे। एक युवक तीन बहनों का इकलौता भाई था। पिता की मृत्यु के बाद उस पर मां और बहनों की जिम्मेदारी थी।
जेएनएन, बिजनौर। घर पर दशहरे की तैयारी चल रही थी। चारों दोस्त दशहरे की छुट्टी पर घर आए हुए थे। इन अनहोनी ने परिवार को जीवनभर नहीं भूलने वाला गम दे दिया है। यह त्योहार तीन गांवों में मातम लेकर आया है। चारों युवक मध्यम वर्ग परिवार से थे। एक युवक तीन बहनों का इकलौता भाई था। पिता की मृत्यु के बाद उस पर मां और बहनों की जिम्मेदारी थी।
गांव रोशनपुर प्रताप निवासी विशाल कुमार पुत्र राजेंद्र सिंह तीन बहनों और अपनी विधवा मां का इकलौता सहारा था। उसकी मौत से मां सुनीता और तीनों बहनें बेसहारा हो गई हैं। मृतक के पिता राजेंद्र सिंह की चार साल पूर्व मृत्यु हो गई थी। मृतक की दो बहनें विवाहित हैं, जबकि एक अविवाहित है। अविवाहित बहन शिल्पी की भी दिसंबर माह में शादी होनी है। विशाल की मौत से परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया है। चूंकि इस परिवार का वही इकलौता कमाने वाला युवक था।
इसके अलावा गांव रोशनपुर निवासी रजत के भाई मनीष की शादी लगभग तीन माह पूर्व हुई थी। यह मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता है। गांव तकीपुर बेगा निवासी प्रशांत कुमार उर्फ बिट्टू भी अपने दो बहनों एक भाई में तीसरे नंबर का था। वह मजदूरी कर पिता की मदद करता था। अक्षय कुमार के पिता जय सिंह की भी नौ साल पूर्व मृत्यु हो गई थी। उसके पिता रेलवे में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे। जिसकी नौकरी उसकी मां शशि को मिल गई थी। मृतक चार-बहन भाई में सबसे बड़ा था। चारों मृतकों के शव घर पहुंचने पर परिवार में कोहराम मच गया। घर वालों का रो-रो कर बुरा हाल है। दशहरा का त्योहार मातम में बदल गया है। शोक के चलते गांव में चूल्हे नहीं जले हैं। दोस्ती का एकसाथ थमा सफर
चारों मृतक गहरे दोस्त थे। सभी हरिद्वार के रोशनाबाद में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे। चारों की दोस्ती नौकरी करते हुए शुरू हुई थी। गंभीर रूप से घायल दीपक की स्कूल में पढ़ते समय प्रशांत कुमार से दोस्ती हुई थी। प्रशांत, रजत, विशाल और अक्षय एक साथ नौकरी करते थे। इसलिए दीपक से सभी की जान-पहचान हो गई थी। अक्षय और दीपक अनुसूचित जाति से थे। रजत व विशाल पाल जाति के थे। मृतक रजत के पिता भगीरथ ने बताया कि रजत व विशाल गुरुवार को ही हरिद्वार से घर आए थे। दोनों शाम को घर पर प्रशांत के मामा के बेटे की शादी में शामिल होने के लिए गए थे। चारों में इतनी गहरी दोस्ती थी कि एक साथ जीने-मरने की कसम खाई थी। चारों एक ही साथ मौत की आगोश में आ गए। स्वजन ने रोते हुए कहा कि काश वह शादी में नहीं भेजते।