कोरोना काल में किसानों को भा रही गन्ने की मिठास

शुगर बाउल क्षेत्र में किसानों को गन्ने की मिठास भा रही है। वजह कोरोना काल में गन्ना फसल ने अपने किसानों का साथ नहीं छोड़ा है। लाकडाउन में सब कुछ बंद होने से जब फूलों की खेती मुरझा गई थी तब भी चीनी मिलों का संचालन हुआ और किसानों ने गन्ने की आपूर्ति मिलों को की।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Jul 2021 05:03 AM (IST) Updated:Sun, 18 Jul 2021 05:03 AM (IST)
कोरोना काल में किसानों को भा रही गन्ने की मिठास
कोरोना काल में किसानों को भा रही गन्ने की मिठास

बिजनौर, जेएनएन। शुगर बाउल क्षेत्र में किसानों को गन्ने की मिठास भा रही है। वजह, कोरोना काल में गन्ना फसल ने अपने किसानों का साथ नहीं छोड़ा है। लाकडाउन में सब कुछ बंद होने से जब फूलों की खेती मुरझा गई थी, तब भी चीनी मिलों का संचालन हुआ और किसानों ने गन्ने की आपूर्ति मिलों को की। चीनी मिलें गन्ना खरीदने के उपरांत गन्ना मूल्य भुगतान भी करती रहीं। कुछ चीनी मिलों की भुगतान करने में चाल जरूर धीमी रही, लेकिन किसानों को भुगतान मिलता रहा। इस बार जनपद में तीन लाख हेक्टेयर से ऊपर गन्ना रकबा होने की संभावना है।

गन्ना मूल्य भुगतान न होना, आपूर्ति में परेशानी, गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी नहीं होने से किसानों का गन्ने से मोहभंग सा हो गया था। वह फूलों एवं सब्जियों की खेती तरफ आकर्षित होने लगे थे। कुछ किसानों ने गन्ने के साथ फूलों की खेती के लिए पालीहाउस लगा लिए थे। कोरोना काल में इनकी फसलों की बाहर आपूर्ति न होने से फूल की खेती मुरझा गई। फसल की बिक्री नहीं होने से किसान आर्थिक रूप से परेशान हो गए। लाकडाउन में होटलों, शादी-विवाह में मांग कम हुई। इससे निराश किसानों ने फिर से गन्ने की खेती को बढ़ावा दिया। गन्ने ने कोरोना काल में अपने किसानों का साथ नहीं छोड़ा, जिससे गन्ना फसल पर किसानों का भरोसा बढ़ गया। पिछले पेराई सीजन में जनपद में गन्ने का रकबा दो लाख 47 हजार 471 हेक्टेयर क्षेत्रफल में था। अभी जनपद में गन्ना सर्वे चल रहा है, लेकिन अभी तक जिले में करीब दो लाख 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल का गन्ना सर्वे हो गया। जिले में करीब तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल से भी ऊपर गन्ना रकबा पहुंचने की संभावना हैं। फूल का रकबा कम, गन्ने का बढ़ाया

कई सालों वह विभिन्न फूलों की खेती कर रहे थे। शुरुआत गन्ने के साथ सहफसली में की थी। कोरोनाकाल में फूल की आपूर्ति बंद होने से उन्हें मोटा नुकसान हुआ है, इसलिए उन्होंने 15 से 30 बीघा गन्ना क्षेत्रफल में गन्ने की खेती शुरू की है। वह फूलों की खेती के लिए भी तैयार है, क्योंकि अक्टूबर, नवंबर में फूलों की मांग बढ़ने की पूरी संभावना है।

-चौधरी अखिलेश कुमार किसान, ग्राम अगरी। इन्होंने कहा

किसानों को उन्नत गन्ना बीज, तकनीकी विधि के बारे में बताया जाता रहता है। समय पर भुगतान के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। दो चीनी मिलें पूर्ण भुगतान कर चुकी। अन्य चीनी मिलों से जल्द कराया जाएगा। जनपद में दो लाख करीब 30 हजार हेक्टेयर का गन्ना सर्वे हो गया और बाकी कार्य अंतिम पड़ाव पर है। इस बार गन्ना क्षेत्रफल बढ़ने की संभावना है।

-यशपाल सिंह, डीसीओ

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