मोहित पेट्रो केमिकल ने छोइया को बना दिया 'जहर', अफसर साधे रहे मौन

बिजनौर: जिले के किसानों के लिए कभी वरदान साबित होने वाली छोइया नदी के पानी को मोहित पेट्र

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Sep 2018 10:27 PM (IST) Updated:Wed, 12 Sep 2018 10:27 PM (IST)
मोहित पेट्रो केमिकल ने छोइया को बना दिया 'जहर', अफसर साधे रहे मौन
मोहित पेट्रो केमिकल ने छोइया को बना दिया 'जहर', अफसर साधे रहे मौन

बिजनौर: जिले के किसानों के लिए कभी वरदान साबित होने वाली छोइया नदी के पानी को मोहित पेट्रो केमिकल ने 'जहर' बना दिया। इसका पानी दर्जनों गांवों के पानी को प्रदूषित कर रहा है। कई बार इसको लेकर आवाज उठी। यहां तक केंद्रीय नदी विकास राज्यमंत्री डा.सत्यपाल ¨सह के सामने भी छोइया को फैक्ट्री मालिक के प्रदूषण मुक्त कराने का मुद्दा उठा, लेकिन फैक्ट्री मालिक की रसूख मंत्री पर भारी पड़ी। नदी की सेहत बदस्तूर बिगाड़ी जा रही है।

नजीबाबाद के महावतपुर बिल्लौच से उदगम होकर छोइया नदी किरतपुर-बिजनौर-जलीलपुर से होते हुए अमरोहा जनपद के गांव रसूलपुर भवर में गंगा में मिलती है। छोइया नदी में नगीना रोड स्थित कई फैक्ट्रियों का गंदा पानी गिर रहा है। केमिकल युक्त गंदा पानी गिरने की वजह से छोइया नदी का पानी पूरी तरह से काला पड़ गया है। ग्रामीणों का कहना है कि रात के अंधेरे में फैक्ट्री का गंदा पानी नदी में छोड़़ा जाता है।यहीं पानी गंगा में गिर रहा, जिससे गंगा भी प्रदूषित हो रही है। यहां तक कि जलीलपुर क्षेत्र में छोइया के किनारे के गांवों में हैंडपंपों का पानी पीने योग्य नहीं रह गया है। वहां लोग बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। कई बार छोइया को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए कई बार आंदोलन व आवाज उठी, लेकिन हर बार जांच के नाम पर खानापूर्ति हुई। प्रदूषण नियंत्रण विभाग हर बार क्लीन चिट देता रहा है। पिछले दिनों प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने अपनी जांच में सबकुछ ओके बताया दिया था।

श्रीकांत शर्मा व डा.सत्यपाल ¨सह पर भारी फैक्ट्री मालिक की रसूख

प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री, प्रवक्ता व जिले के प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा से लेकर केंद्रीय नदी विकास राज्यमंत्री डा. सत्यपाल ¨सह के समक्ष मोहित केमिकल के प्रदूषण से दम तोड़ती छोइया नदी को जीवनदान देने का मुद्दा उठाया। मंत्री डा.सत्यपाल ¨सह ने इस मामले में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए, लेकिन करीब ढाई माह बीतने के बाद भी अफसरों ने कोई कदम नहीं उठाया और मंत्री के आदेश को कूड़े के ढेर में डाल दिया। जानकारों का कहना है कि फैक्ट्री मालिक की रसूख से अफसर कार्रवाई से हाथ पीछे खींच लेते हैं।

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