नांगल के बूढ़ा पीपल पर मांगी हर मुराद होती है पूरी

बिजनौर, जेएनएन। प्राचीन बूढ़ा पीपल पर मांगी हर मुराद पूरी होती है। सैकड़ों वर्षों से बूढ़ा पीपल लोगो

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 09:47 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 09:47 PM (IST)
नांगल के बूढ़ा पीपल पर मांगी हर मुराद होती है पूरी
नांगल के बूढ़ा पीपल पर मांगी हर मुराद होती है पूरी

बिजनौर, जेएनएन। प्राचीन बूढ़ा पीपल पर मांगी हर मुराद पूरी होती है। सैकड़ों वर्षों से बूढ़ा पीपल लोगों की आस्था का केंद्र बना है। चार पीढि़यों से भी अधिक समय से बुजुर्ग पीपल की दास्तान सुनाते आ रहे हैं।

क्षेत्र में गंगा के मुहाने पर सैकड़ों वर्ष पुराना पीपल का एक विशाल वृक्ष है। चार पीढि़यों से भी अधिक समय से विख्यात होना चर्चा का विषय है। बताते हैं कि यहां मांगी सभी मुरादें पूरी होती हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि यहां उन्होंने कई बार सिद्ध आत्माओं को देखा है, जो अ²श्य हो जाती हैं। जो कभी-कभी ही दर्शन देती हैं। वैसे तो नांगलसोती को प्राचीन समय में अलगापुरी के नाम से जाना जाता रहा है। यहां के शिव मंदिर आदि का शिव पुराण में वर्णन है। गंगा मार्ग के मुहाने पर ही यह विशाल पीपल का वृक्ष है। जो बस्ती सहित आसपास के गांवों में आस्था का केंद्र है। यहां श्रद्धालुओं की मांगी मुरादें पूरी होती हैं। यहां स्थित प्राचीन कुटिया पर कृपालनाथ महाराज रहते हैं। जो कई वर्षों से बूढ़े पीपल की सेवा में लगे हुए हैं। यहां शिवलिग स्थापित है।

गंगा घाट पर कार्तिक पूर्णिमा पर विशाल मेले का आयोजन होता है। इस दौरान आने वाले श्रद्धालु बूढ़े पीपल को नमन करके ही आगे बढ़ते हैं। इतना ही नहीं, यहां सुबह-शाम चारों तरफ चट्टाने होने से यहां का माहौल पूरी तरह प्राकृतिक एवं दिव्य बना रहता है। सांय कालीन भजन एवं आरती की ध्वनि दूर-दूर तक पहुंचती है। ग्रामीण श्रद्धालुओं ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर पीपल स्थल के जीर्णोद्धार, आश्रम और गोशाला को विकसित करने की मांग की है।

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