मांग तक सिमटी जर्जर पुल के सुधार की कवायद
जिले में जर्जर पुल आम जनता के लिए खतरे का सफर बना हुआ है। संपर्क मार्गो से लेकर मुख्य मार्ग का ट्रैफिक अंग्रेजों के जमाने और जर्जर पुल से गुजर रहा है। स्थानीय लोग मांग करते हैं लेकिन सुनवाई कुछ नहीं होती। जनप्रतिनिधि भी गंभीरता नहीं दिखाते यही कारण है कि लोग खतरनाक सफर करने का मजबूर हैं। जिलेभर में 20 से अधिक जर्जर पुल हैं।
जेएनएन, बिजनौर। जिले में जर्जर पुल आम जनता के लिए खतरे का सफर बना हुआ है। संपर्क मार्गो से लेकर मुख्य मार्ग का ट्रैफिक अंग्रेजों के जमाने और जर्जर पुल से गुजर रहा है। स्थानीय लोग मांग करते हैं, लेकिन सुनवाई कुछ नहीं होती। जनप्रतिनिधि भी गंभीरता नहीं दिखाते, यही कारण है कि लोग खतरनाक सफर करने का मजबूर हैं। जिलेभर में 20 से अधिक जर्जर पुल हैं।
नूरपुर के राजा का ताजपुर क्षेत्र में गांव गल्लाखेड़ी से कई गांवों को जोड़ने वाला गंजा पुल आज भी बदहाल है। करीब 300 मीटर लंबा पुल अंग्रेजों के जमाने से आज तक बिना रेलिग का है। गन्ने के सीजन में बुग्गी और ट्रैक्टर-ट्रालियां मजबूरन यहां से गुजरती हैं। इससे हादसा होने का खतरा बना रहता है। क्षेत्रीय ग्रामीण अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों से पुल के जीर्णोद्धार की मांग कर चुके हैं, लेकिन आज तक कोई पहल नहीं हो सकी है। नहर पर बने हैं अंग्रेजी समय के सात पुल
नजीबाबाद तहसील के ब्रिटिश काल में बना बुंदकी रेलवे स्टेशन व बुंदकी शुगर मिल को जोड़ने वाला नहर पुल जर्जर व खस्ताहाल है। वहीं बुंदकी रोड पर गांगन नदी व पेलखला नदी पर बने ब्रिटिश कालीन पुल जर्जर पुल के समानांतर नवीन पुल का निर्माण तो शासन ने करा दिया, लेकिन जर्जर पुल को ध्वस्त नहीं कराया, जिससे दुर्घटना होने का भय बना रहता है। ब्रिटिश काल में खोबड़ा से लेकर नगीना तक एक नहर का निर्माण कराया गया था। करीब सौ साल पहले नहर पर अंग्रेजों ने नहर पुल का निर्माण कराया था। समय के साथ-साथ अब नहर पुल जर्जर है। इस नहर पर सात पुल बने हुए हैं। ग्रामीणों की मांग के बाद भी कोई हल नहीं निकल सका है। यही, हाल बालावाली पुल का है। फोरलेन पर बना पुल, पुराने पर आवाजाही
तहसील धामपुर के शेरकोट में खो नदी पर बैराज है। यह पुल नेशनल हाईवे-74 पर पड़ता है, जिससे उत्तराखंड की ओर जाने वाला सारा यातायात इसी पुल से गुजरता है। अब नेशनल हाईवे के चौड़ीकरण के बाद बैराज पर एक नए पुल का निर्माण कर दिया गया है। इसे केवल शेरकोट नगर व आसपास के गांवों को जाने वाले ग्रामीण इसका प्रयोग कर रहे हैं। क्षेत्र के निवासियों के लिए यह आवागमन का प्रमुख पुल है, इसलिए इसे चालू रखा जाएगा। बड़े वाहन व उत्तराखंड को जाने वाले वाहन नए पुल का उपयोग करेंगे। हालांकि पुल की स्थिति को देखते हुए स्थानीय निवासी इसे दुरुस्त करने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा बिजनौर-बदायूं मुख्य मार्ग पर बना छाछरी के पास जर्जर पुल है। इस पर भारी ट्रैफिक गुजरता है, लेकिन किसी का ध्यान इस ओर नहीं है।
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20 से अधिक जर्जर पुल
जिले में 20 से अधिक जर्जर पुल है। इनमें 15 के करीब अंग्रेजी जमाने के हैं। अंग्रेजों के समय बनाए गए पुल पर ही ट्रैफिक दौड़ रहा है। सौ साल पुराने बालावाली पुल के बराबर में बने करोड़ों का नया पुल अप्रोच नहीं बनने के चलते अधर में लटका हुआ है।
--- खो नदी पर बने पुराने पुल की जगह हाईवे पर नया पुल बनने से लोगों को सुविधा हो गई है, लेकिन पुराने पुल से भी आवागमन जारी रहेगा। इसकी मरम्मत के लिए संबंधित अधिकारियों से बात की गई है। नया हाईवे पूरी तरह चालू होने के बाद इसकी मरम्मत कराई जाएगी।
-अशोक राणा, विधायक, धामपुर