पौराणिक अवशेषों पर जमने लगी धूल

क्या मालूम था कि ऐसा भी वक्त आएगा कि इंसान की जान बचाना भी मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में वो सभी काम धरे रह जाएंगे जो कभी प्राथमिकता पर हुआ करते थे। जी हां जमीन में कई फिट नीचे दबे मिले सदियों पुराने विशाल शिवलिग को श्रद्धालुओं ने अपने हौसले से काफी ऊंचे टीले पर स्थापित तो कर दिया और पौराणिक अवशेषों को संजोया मगर करीब डेढ़ दशक बाद भी इस स्थल को पर्यटन स्थल की पहचान नहीं दिला सके हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 10:45 AM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 10:45 AM (IST)
पौराणिक अवशेषों पर जमने लगी धूल
पौराणिक अवशेषों पर जमने लगी धूल

जेएनएन, बिजनौर। क्या मालूम था कि ऐसा भी वक्त आएगा कि इंसान की जान बचाना भी मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में वो सभी काम धरे रह जाएंगे, जो कभी प्राथमिकता पर हुआ करते थे। जी हां, जमीन में कई फिट नीचे दबे मिले सदियों पुराने विशाल शिवलिग को श्रद्धालुओं ने अपने हौसले से काफी ऊंचे टीले पर स्थापित तो कर दिया और पौराणिक अवशेषों को संजोया, मगर करीब डेढ़ दशक बाद भी इस स्थल को पर्यटन स्थल की पहचान नहीं दिला सके हैं।

नजीबाबाद से करीब 13 किलोमीटर दूर गांव मथुरापुरमोर में पिछले कई वर्षों से पौराणिक अवशेष मिलते आ रहे हैं। शुरुआती दौर में खेतों से अवशेष मिलना ग्रामीणों के लिए महज कौतुहल का विषय बना। पौराणिक अवशेष और मूर्तियां लगातार मिलने से लोगों में श्रद्धा बढ़ती गई। भगवान विष्णु के अनन्य भक्त राजा मोरध्वज का महाभारत काल में महल होने का दावा करने वाले क्षेत्रीय ग्रामीणों ने अवशेषों को संजोना शुरू कर दिया। इसके बाद क्षेत्र किला बाबा मंदिर विकसित हुआ।

वर्ष 2007 में कौड़िया वन रेंज के दूरस्थ जंगल क्षेत्र में जमीन में काफी नीचे पौराणिक विशाल शिवलिग दबा मिला था। इस शिवलिग को क्रेन की मदद से काफी मशक्कत के बाद किला बाबा मंदिर के ऊंचे टीले पर स्थापित कर आकर्षक मंदिर का निर्माण किया गया। इसके साथ ही प्राचीन मूर्तियों, शिलाओं को संजोकर रखने के लिए ग्रामीणों ने संग्रहालय विकसित करने का संकल्प लिया था। हालांकि इससे करीब चार दशक पहले पुरातत्व विभाग ने सर्वे कराकर क्षेत्र पर अपनी नजरें बनाए रखी थीं और यहां विभागीय बोर्ड लगा दिया गया था, लेकिन इस धरोहर के संरक्षण के प्रति गंभीरता नहीं बरती गई।

श्रद्धालु बोले

उत्तर प्रदेश खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष गोपाल अंजान मंदिर आए थे। उन्होंने पौराणिक काल से जुड़े राजा मोरध्वज के किला क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने और पौराणिक अवशेषों को संरक्षित करने के लिए मुख्यमंत्री से संपर्क करने की बात कही थी। लेकिन उसके बाद कोरोना महामारी फैलने से प्रयासों पर विराम लग गया।

-देवराज सहगल, अध्यक्ष मयूरेश्वरनाथ महादेव मंदिर, मथुरापुरमोर नजीबाबाद

राजा मोरध्वज किला क्षेत्र को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए कड़े प्रयास जारी हैं। कोरोना महामारी के खात्मे के बाद मुख्यमंत्री से संपर्क कर मंदिर क्षेत्र में विकास कार्य कराने के प्रयास फिर से शुरू किए जाएंगे।

-सुशील डुकलान, श्रद्धालु एवं सामाजिक कार्यकर्ता

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